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मां की भावना व्यक्त करती हुई कविता- मैं माँ हूँ

अपने बच्चों के जीवन के प्रति एक माँ की भावना में सदा बच्चों का कल्याण ही नीहित होता है. एक माँ की ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त करती है यह कविता 'मैं माँ हूँ'....  एक मां ही अपने बच्चों के लिए इस प्रकार से सोच सकती है कि वह अपने बच्चों को दुनिया का हर सुख देना चाहती है और उनका जीवन प्रकाशमय बनाना चाहती है.    नारी शक्ति पर यह कविता भी पढ़ें  प्रस्तुत कविता में किसी भी मां की यही भावना व्यक्त होती है कविता- मैं माँ हूँ  मैं माँ हूँ सोचती हूं हर समय आमदनी कैसे बढ़े कैसे पैसे बचें क्योंकि बिना धन के मेरी ममता का कोई मोल नहीं बिन साधन भावनाओं का कोई तोल नहीं धन के बिना कैसे दे पाऊंगी मैं अपने बच्चों को उनका भविष्य उनके सपने नहीं देखी जाती मुझसे समय से पहले उनकी समझदारी उमंगों को मुट्ठी में भींच लेने की लाचारी मैं नहीं देना चाहती उन्हें ऐसी समझदारी ऐसी दुनियादारी, ऐसे संस्कार कि मन को मार वो स्वयं को समझे समझदार मैं माँ हूँ, बस माँ उनकी मुट्ठी में देना चाहती हूँ उनका आकाश परों को उड़ान मन मानस में प्रकाश मैं रखना चाहती हूँ उन्हें अंधेरों से दूर बहुत दूर.   ...

कैसे रचनाकार अपनी पीड़ा को कविता में ढालता है- कविता 'कांटों का जंगल'

जीवन में कठिनाइयां किस पर नहीं पड़ती, पीड़ा सब को झेलनी पड़ती है किन्तु एक रचनाकार या कवि अपनी पीड़ा को कला या कविता में ढाल लेता है .  अपने दुःख को कविता या सृजन में बदलने की कला ही किसी भी रचनाकार की ताकत होती है जो मुसीबतों में भी उसे टूटने नहीं देती.  जीवन की विषमतायें  एक  रचनाकार  के लिये खुराक के  समान होती है जिन्हें अपने  सृजन  में ढ़ाल वह अपनी  रचना   को कालजयी बनाता है. यह लेख भी पढ़ें - क्या आपको भी अपना जीवन कठिन लगता है? कैसे बनाये जीवन को आसान      यह हिंदी कविता ' कांटों का  जंगल'  मैंने अपने ऐसे ही अनुभवों के आधार पर लिखी है। आप भले ही कवि ना हो पर यदि कविता को समझते हो तो आपको मेरी बात में सत्यता अवश्य महसूस होगी. 

चूहा गीत 'लालच बुरी बला है'| चूहे पर बाल कविता

बिल्ली, चूहे आदि पर बाल गीत और बाल कवितायेँ बच्चों को बहुत पसंद आती हैं. ऐसा ही एक  चूहा गीत लेकर आएं हैं हम आपके लिए. स्कूल में बच्चे इन्हें गाकर बहुत खुश हो जायेंगे.    इस गीत को जब नन्हे-नन्हे बालक अपनी प्यारी प्यारी तोतली भाषा में सुनाएंगे तो आप को बच्चों पर प्यार और आपके चेहरे पर मुस्कान आए बिना नहीं रहेगी. यह बाल गीत बच्चों को स्कूल में भी सिखाये जाने के लिये उत्तम है.  यह कविता सिखाती है कि 'लालच बुरी बला है'.  तो पढ़िये चूहे पर लिखा -    चूहा गीत 'लालच बुरी बला है '   चूहे ने किया टेलीफोन चुहिया बोली आप है कौन? यह  बाल प्रार्थना  भी पढ़िए  हमे नहीं तुमने पहचाना हमे जानता सारा जमाना अपने बिल में माल बड़े है कुतर कुतर भंडार भरे हैं अपने इलाके के हम डॉन. मिलो कनाट प्लेस पर कल को दिल्ली घुमायेंगे हम तुम को और दिलायेंगे एक साडी ज़िसे पहन कर लगोगी प्यारी हम सा दिल वाला यहां कौन? सुना चुहिया ने, खूब हंसी आज तो मुर्गी खूब फंसी बोली इठला चुहिया रानी कसम तुम्हे होगी इक खानी देखो अब हो न जाना मौन. ...

पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...

A long Love Poetry In Hindi 'किनारा'

प्रेमी की उपेक्षा से   आहत प्रेमिका के मनोभावो को प्रदर्शित करती - A Long Love Poetry In Hindi 'किनारा'        नारी का मन जितना कोमल होता है, उतनी ही वह महान भी होती है. किन्तु प्रेमी के प्रति उसका प्रेम कम नहीं होता और उसके मन में यही आस जगी रहती है कि उसका प्रेमी लौटकर उसके पास अवश्य आएगा.  तो प्रस्तुत है प्रेयसी के त्यागपूर्ण और महान प्रेम की  नदी के किनारे   से प्रतीकात्मक तुलना करती हुई- एक लंबी हिंदी प्रेम  कविता- 'किनारा' Love Poem- 'Kinara'   तुम अपने आज में मशगूल हो और मेरे पास  तुम्हारा कल सुरक्षित है तुम्हारे लिए तुम्हारा अतीत व्यर्थ की वस्तु है, मगर मेरा भूत, मेरा वर्तमान और मेरा भविष्य तुम्हारे उस कल को ही समर्पित है कभी तुमने मुझसे कहा था तुम मेरा किनारा हो तुम ही मेरा जीवन तुम ही सहारा हो और तब से मैं किनारा बन खड़ी हूं, मगर तुम नदी बन बह गए ढूंढ लिए तुमने नए किनारे, किंतु मेरे सब सहारे ढ़ह गए सच ही है भला किनारे क्या कभी बहती धारा को रोक पाए हैं जल के आवेग के सम्मुख वो सदा ही डूबे डुबाये हैं मैं खड़ी हूं ...

पूर्वजों की स्मृति में श्राद्ध पर्व पर एक कविता

  श्राद्ध पर्व के दिनों में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना हमारी पुरानी परंपरा है़. ब्राह्मणों और कौवों में अपने पुरखों का रूप मान हम उन्हें श्रद्धा पूर्वक भोजन कराते हैं. बाबा को श्रद्धांजलि यह कविता भी पढ़ें  चलिए एक परंपरा हम इस तरह निभा देते हैं मगर क्या इस परंपरा का भाव मात्र यही है कि श्राद्ध वाले दिन अपने पूर्वजों की याद में ब्राह्मणों को भोजन करा कर परंपरा को निभा दिया जाए एक लीक पीटने की तरह. 

नारी के प्रति बलात्कार व अत्याचार पर आक्रोश व्यक्त करती एक कविता-'औरत'

नारी स्वभावत: ममतामयी व सहनशील होती है किंतु उसके इस स्वभाव को उसकी कमजोरी मान लिया जाता है और उस पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं. किन्तु औरत कमजोर नहीं है़. जब वह  आक्रोश में आ जाए तो वह चंडी का रूप धारण कर समस्त दुष्टों का नाश भी कर सकती है. नारी के आक्रोश को व्यक्त करती है यह कविता पढ़ें जिस का शीर्षक है ' औरत"

जीवन की नश्वरता, आत्मा की अमरता पर आध्यात्मिक कविता

आध्यात्मिकता यही कहती है कि हम इस शरीर को अपनी पहचान समझते हैं जबकि यह शरीर तो नश्वर है हमारी असली पहचान तो हमारी आत्मा है जो सदा अमर है. इसी भाव को दर्शाती कविता-  झरते हैं तो झर जाएं क्षण

2 दार्शनिक भाव की सारगर्भित कविताएं

प्रस्तुत है आपके लिए 2 सारगर्भित कविताएं   जिन्हें पढ़कर आपके भीतर दार्शनिक  भाव उत्पन्न होने लगेंगे और आप कुछ सोचने पर मजबूर हो जाएंगे. ये कविताएं मेरे दिल की गहराई से उत्पन्न हुई है और मेरी स्वरचित कविताएं है.   ' सूर्योदय का सच'   एवं ' यथार्थ '.   दोनों ही बड़ी  सारगर्भित एवं गंभीर कविताएं हैं.

एक श्रंगारिक गीत- समर्पण भावों का

श्रंगार रस सब रसों का राजा है.  कविता   जगत में श्रंगारिक गीतों का अपना ही एक अलग स्थान है . श्रृंगार रस में  रचित प्रस्तुत प्रेम गीत ' समर्पण भावों का  '  आपके हृदय को अवश्य ही भायेगा. तो प्रस्तुत है श्रंगारिक प्रेम गीत ... सास बहू पर यह लोकगीत पढ़ें समर्पण भावों का  श्रृंगार रस में एक और  प्रेमगीत आपके लिए.......

एक अनुभूति पूरक कविता- जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

Best Gazals प्रेम की सूक्ष्म व अलौकिक अनुभूति का प्रस्तुतिकरण कविता  रूप में..... जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में  पढ़ें एक और  अनुभूति पूरक कविता ' क्षितिज के पार '  इस कविता को  प्रेम-गीत भी कहा जा सकता है मगर यह स्थूल प्रेम का गीत नहीं वरन् प्रेम की उस सूक्ष्म व अलौकिक अनुभूति का प्रस्तुतिकरण है जिसका कोई साकार रूप नहीं होता, बस झिलमिल सी एक पहचान, अपनेपन का अव्यक्त सा आभास जिसका सांसारिकता से कोई लेना-देना नहीं होता. शायद पिछले जन्म की कोई पहचान होती होगी इस तरह की अनुभूतियों के पीछे....शायद. क्या आपको भी कभी ऐसी अनुभूति हुई है कि किसी को देखकर आपको ऐसा लगा हो कि इस शख्स को हम ना जाने कितने जन्मों से जानते हैं कुछ ऐसी ही अनुभूति लिए मेरी यह मौलिक काव्य गीत रचना आपके लिए:- दार्शनिक कविता पढें- विरोधाभास

भारतीयों के पश्चिमी संस्कृति के प्रति मोह पर एक कविता "आज अपनी जमीं है, अपना आसमाँ '

अंग्रेज हमारे देश से चले गये मगर हम भारतीयों के मन से अंग्रेजियत और पश्चिमी संस्कृति के प्रति मोह नहीं गया. इसी विषय पर प्रस्तुत है  एक कविता..   राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर एक लेख  भी पढ़ें लाल बहादुर शास्त्रीजी पर कविता पढ़ें आज अपनी जमीं है, अपना आसमाँ  तिरंगा प्यारा आज अपनी जमीं है, अपना आसमाँ मगर ऐ खुदा, ढूँढते थे जो हम जो, वो जहाँ कहाँ है, कहाँ है, कहाँ है, कहाँ

भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री पर एक कविता

हमारे महान द्वितीय प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जन्मदिवस 2 अक्टूबर पर उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप एक कविता  -- लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री

श्रद्धांजलि 'शहीदों के प्रति'-कविता

स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) 15 अगस्त के पुनीत अवसर पर शहीदों के सम्मान में एक कविता , एक श्रद्धांजलि ...... शहीदों को नमन                     जय-हिंद जय-भारत   शहीदों के प्रति 

कन्या-भ्रूण हत्या पर कविता

बेटियों को जन्म देने के बारे में समाज की सोच में हालांकि अब काफी सकारात्मक परिवर्तन हुआ है फिर भी कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं गाहे-बगाहे सुनने में आ ही जाती है. अभी समाज की सोच में पूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है. कन्या भ्रूण हत्या पर मेरी एक कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है. शादी विवाह,बच्चे के जन्म आदि के अवसरों पर ढ़ोलक पर गाने के लिए सॉन्ग लिरिक्स भ्रूण हत्या मां से पूछा बेटी ने मां मुझको बतलाओ तुम बेटी पैदा होती है जब मातम जैसा क्यों होता है

कविता- मां की कोख में स्थित कन्या-भ्रूण की मां से विनती

मां के गर्भ  में स्थित भ्रूण कन्या   का अपनी मां से निवेदन, एक विनती मार्मिक कविता के रूप में..... बेटियों को जन्म देने  के बारे में समाज की सोच में हालांकि अब काफी सकारात्मक परिवर्तन हुआ है फिर भी  कन्या-भ्रूण हत्या  की घटनाएं गाहे-बगाहे सुनने में आ ही जाती है. प्रस्तुत कविता में समाज की इसी सोच पर चोट करने की कोशिश की गयी है. नारी कमजोर नहीं, पढ़े यह कविता 'मैं नारी' कन्या भ्रूण हत्या पर मेरी यह  कविता  आपके समक्ष प्रस्तुत है- कन्या-भ्रूण हत्या कोख अपनी ना तुम यूं उजाड़ो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या नाम रोशन तेरा मैं करूँ देखना तेरी परछाई बन मैं रहूँ देखना बेटे से कम ना मुझको विचारो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या

विरोधाभास.... एक दार्शनिक कविता

कवि का हृदय भी ना जाने कहाँ कहाँ कुलाँचे भरता रहता है. कभी वह दार्शनिक बन जीवन की निस्सारता और सारता पर मनन करने लगता है तो अगले ही पल जीवन उसे एक उत्सव की तरह प्रतीत होने लगता है. कभी रूदन कभी हास, कभी विश्वास कभी विश्वासघात, कभी निराशा कभी आशा सभी विरोधाभास उसके अपने है. सभी के दुख सुख उसके मन को मथते हैं. सभी की अनुभूतियों को कवि अपने मन में समेट कर कविता रचता है. इसी सच्चाई को सार्थक करती दार्शनिक भावभूमि से उपजी जीवन में नीहित विरोधाभास पर मेरी (अर्थात अन्जु अग्रवाल की) एक मौलिक दार्शनिक   कविता ...... विरोधाभास

रहे सलामत मेरा भैया- भाई बहन के प्रेम पर एक कविता

बड़ा अनमोल बड़ा कीमती होता है भाई बहन का प्रेम और मधुर रिश्ता  कितना भी लड़-झगड़ लें लेकिन एक दूसरे के प्रति प्यार और शुभ भावनाएं मन में सदा विद्यमान रहती है. Cool cool shopping For summer रक्षाबंधन  के पावन अवसर पर ब्लाग गृह-स्वामिनी पर काव्य  के अन्तर्गत भाई-बहन  पर प्यारी सी कविता  ...... बहनों के लिए उनका भाई उन्हें उनके मायके से जोड़े रखने की एक महत्वपूर्ण कड़ी होता है. भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का महत्व रक्षाबंधन और भाई दोज जैसे पावन त्यौहारों पर और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है. प्रस्तुत है रक्षाबंधन के शुुुभअवसर पर मेरी यह कविता ....... रहे सलामत मेरा भैया  

नारी को परिभाषित करती एक नारीशक्ति कविता- मैं नारी

सतही तौर पर ' नारी ' शब्द से जो चित्र उभरता है, नारी की परिभाषा वास्तव में उससे बहुत गहन, बहुत महान है. नारी जहाँ कोमल हृदया है वहीं शक्ति पुंज भी है. सौन्दर्य और शान्ति की मूरत है तो वक्त पड़ने पर चण्डी स्वरूपा भी है.  नारी के ऐसे ही  गरिमामय और सशक्त रूप को व्यक्त करती काव्य पंक्तियां.. मैं नारी मैं नारी हूँ प्यार बांटती हूं, प्यार लो मैं कर्तव्य हूं अधिकार बाँटती हूं, मुझे बांध लो

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों...

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पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...

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एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये ...

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

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