कवि का हृदय भी ना जाने कहाँ कहाँ कुलाँचे भरता रहता है. कभी वह दार्शनिक बन जीवन की निस्सारता और सारता पर मनन करने लगता है तो अगले ही पल जीवन उसे एक उत्सव की तरह प्रतीत होने लगता है. कभी रूदन कभी हास, कभी विश्वास कभी विश्वासघात, कभी निराशा कभी आशा सभी विरोधाभास उसके अपने है. सभी के दुख सुख उसके मन को मथते हैं. सभी की अनुभूतियों को कवि अपने मन में समेट कर कविता रचता है. इसी सच्चाई को सार्थक करती दार्शनिक भावभूमि से उपजी जीवन में नीहित विरोधाभास पर मेरी (अर्थात अन्जु अग्रवाल की) एक मौलिक दार्शनिक कविता ...... विरोधाभास
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...