कुछ व्यक्तित्व अपने परिश्रम, दृढ़ता व जीवन में तोड़ देने वाली विषम परिस्थितियों में भी संभलने की दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर संपूर्ण मानव जाति के लिए एक प्रेरणा स्तंभ बन जाते हैं, उन्हीं में से एक नाम है -- हमारी नवनिर्वाचित आदिवासी समुदाय से आने वाली प्रथम महिला तथा भारत की पन्द्रहवीं राष्ट्रपति ' द्रोपदी मुर्मू' का. नारी जाति को तो इनसे विशेष रूप से प्रेरणा लेनी चाहिए. भारत की 15वीं महामहिम द्रौपदी मुर्मु
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी... हास्य बन्नी गीत पढ़ें तो प्रस्तुत है यह भा वपूर्ण, दिल को छू लेने वाली कविता 'साथी मेरे' धूप को छांव को, बरखा बहार को प्रिये तेरे साथ से पहचानता हूं साथी मेरे, इस जिंदगी को अब मैं बस तेरे नाम, से ही तो जानता हूं कितने सावन हमने पीछे छोड़े सुख-दुख के पलों से नाते जोड़े जुटी खुशियां और आशाएं भी टूटी करें मगर क्यों गम जो दुनिया रूठी मीत मेरे मैं तो, तेर...