' काव्य' के अन्तर्गत एक गीत आपके लिए...... दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है मत देखो कि जीवन किस सांचे में ढाल कर रखा है ऊपर से जो दिखता हूं मैं दुनिया की मेहरबानी है मेरे भीतर झांक के देखो अलग ही एक कहानी है दिल के अंदर मंदिर है दिया बाल कर रखा है दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांध कर रखा है मत देखो कि जीवन किस सांचे में ढाल कर रखा है चल-चल के थक जाता हूं मन की देहरी लँघ लेता हूं यादों में तुझ संग रो, हंस कुछ पल मैं भी जी लेता हूँ दिखता हूं कंगाल, दिल में अनमोल खजाना रखा है दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांध कर रखा है मत देखो कि जीवन किस सांचे में ढाल कर रखा है मुझको और चाहिए भी क्या जग कहे उसे जो कहना तब भी तुझे देख के जीता अब भी बस तेरा सपना मूंद लिए हैं नैन अपने पलकों में संभाल रखा है दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांध कर रखा है मत देखो कि जीवन किस सांचे में ढाल कर रखा है गीतों की पालकी
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...