आपको अगर अपने जीवन में परिस्थितियों के कारण अथवा किसी अन्य कारण से कठिनाई महसूस होती है तो शायद हमारा यह लेख आपके किसी काम आए जिसमें बताया गया है कि आप कैसे अपनी सोच बदल कर कठिन परिस्थितियों को भी अपने वश में कर अपने कठिन प्रतीत होने वाले जीवन को आसान व आनंदपूर्ण बना सकते हैं.
क्या वास्तव में जीवन जीना इतना कठिन है?
क्या आपको भी अपना जीवन इतना कठिन लगता है |
इस जीवन को तो हमने जैसा बनाया है वैसा बन गया, हालांकि इस बात पर किसी को भरोसा नहीं होता है कि उसका जीवन बनाना उसके अपने हाथ में है.
प्रत्येक व्यक्ति यही समझता है कि जीवन का सरल या कठिन होना परिस्थितियों पर निर्भर है
परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों ना हों अगर उचित सोच के साथ धैर्य पूर्वक उनका सामना किया जाए तो समस्याओं के हल निकलने लगते हैं और कठिन परिस्थितियां भी आसान बनने लगती है.
इसके विपरीत अगर परिस्थितियां कितनी भी अनुकूल हो किंतु हमारी सोच यदि सही नहीं है और हमें सही शिक्षा नहीं मिली है, हमें ज्ञान नहीं है तो अनुकूल परिस्थितियों को भी विपरीत बनने में समय नहीं लगेगा और वह दुरुह यानी मुश्किल बनती चली जाएंगी
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निम्न कथन को उपदेश ना समझे वरन उस पर सही तरीके से तर्कपूर्ण ढंग से विचार करें.
हालांकि यह बात एक उपदेश की तरह लग सकती है. उपदेशों को अब हम हजम नहीं कर पाते क्योंकि दुनिया में उपदेश देने वाले हर कदम पर मिल जाते हैं.
पर यह भी सत्य है कि हमारे महापुरुष जो कह गए हैं और पवित्र पुस्तकों में जो बातें बतायी जाती हैं उन पर हम थोड़ा सा भी विश्वास कर चलने का अभ्यास करेंगे तो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव होने लगेगा. तब हम उस कथन की विश्वसनीयता को महसूस करते हैं कभी-कभी हमें पछतावा भी होने लगता है कि हमने पहले क्यों इन बातों पर अमल नहीं किया.
हमारी जीवन यात्रा में हमारे संपर्क में आने वाले हमारे परिजनों से मिली शिक्षा, संगी साथियों का प्रभाव और हमारे अनुभवों से हमारी एक सोच निर्मित हो जाती है और हम वैसा ही व्यवहार करने लगते हैं.
परिजनों से मिली शिक्षा व अनुभव अच्छे भी होते हैं व बुरे भी किंतु इन्हीं के आधार पर हमारी सोच बनती है व उसी के अनुसार हम अपना जीवन बना लेते हैं.
अक्सर हम अनेक मिथकों व पूर्वाग्रहों को मन में पाल लेते हैं और उनको आवश्यकता होने पर भी आसानी से बदलने को तैयार नहीं हो पाते क्योंकि वह हमारे संस्कार बन चुके होते हैं परंतु व्यक्ति को हमेशा जागरूकता और अपनी सोच में लचीलेपन की संभावना बनाए रखनी चाहिए. सोच बदलते ही पूरा जीवन बदल सकता है
यह ठीक है कि बचपन में हमारा जीवन हमारे हाथ में नहीं होता हम चारों और जो देखते हैं और जो हमें शिक्षा दी जाती है वही हमारी सोच में आ जाती है किंतु जैसे जैसे हम बड़े होते हैं अपने विवेक का इस्तेमाल करते हैं और नए नए अनुभव प्राप्त करते हैं संसार को अपनी दृष्टि से देखते हैं तो हमें तथ्यों को परखने का अभ्यास करना चाहिए और उचित या अनुचित का विचार करके ही अपनी समझ को कोई रूप देने का प्रयास करना चाहिए.
इसके लिए मैं प्रत्येक माता-पिता से एक बात कहना चाहूंगी कि माता पिता अपने बच्चों को यह सिखाएं कि आप की पुस्तकों में जो महापुरुषों के महावाक्य तथा अच्छे विचार व सुंदर कोटेशंस होते हैं वो केवल रटकर परीक्षा पास करने के लिए ही नहीं है बल्कि उनका ध्यान पूर्वक अध्ययन कर उनको व्यवहार में लाने का अभ्यास भी करना है. इस प्रकार बच्चों के मानस में बचपन से ही अच्छी सोच विकसित होने लगेगी और वह अच्छा इंसान बनने की दिशा में आगे बढ़ेंगे और अपने जीवन को सुंदर आकार दे पाएंगे.
स्वयं भी व बच्चों को भी आध्यात्मिक बनाएं, धार्मिक नहीं.
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जितनी भी बातें हमारे महापुरुष कह गए हैं या हमारी पवित्र पुस्तकों में है वह हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए ही है किंतु हम सांसारिक आकर्षण में इतना खो गए हैं कि हमें उन बातों में कोई महत्व ही प्रतीत नहीं होता या फिर हम उन बातों की सार्थकता को समझना ही नहीं चाहते और अपनी मौज मस्ती में खोए रहते हैं. हमें वो बातें शुष्क और रसहीन प्रतीत होती हैं.
सच तो यह है कि जीवन को आनंदपूर्वक जीने की कला उन अच्छी और उच्च विचार वाली बातों में ही छिपी होती है मगर हम अक्सर यह सोच कर कि अभी हमारी इन बातों के लिए उम्र नहीं है, खेलने-खाने की उम्र है यह सोच कर उन बातों पर ध्यान नहीं देते.
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माता-पिता व शिक्षकों को वो खुद भी यह समझना चाहिए और बच्चों को भी समझाना चाहिए कि यह बातें उन्हें जीवन के आनंद और खुशी से दूर ले जाने वाली याद साधु बनाने वाली नहीं है.
वरन् ये बातें तो आपको जीवन का ढंग सिखाती है जिससे कि आप जीवन में किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते और परिस्थितियों को अपने अनुकूल मोड़ पाने में समर्थ हो जाते हैं.
इन बातों से मनुष्य में इतनी सामर्थ्य आ जाती है कि वह परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होता वरन परिस्थितियां उसके अनुसार बनने लगती है. इसी में तो जीवन की सार्थकता है.
Meditation-Parmatma se connection |
इसके अलावा स्वयं भी मेडिटेशन करें और बच्चों से भी मेडिटेशन का अभ्यास अवश्य कराएं. मेडिटेशन करने से मन एकाग्र होता है और परमात्मा से कनेक्ट होकर शांति का अनुभव करता है
ईश्वर के प्यार व शक्ति का अनुभव खुद भी करें और बच्चों को भी इस अनुभव का परिचय अवश्य कराएं.
ध्यान द्वारा परमात्मा के स्नेह व शक्ति को स्वयं में समाहित करना भी सिखाएं.
फिर देखिए आज के जीवन की कठिन परिस्थितियों में भी आपको जीवन सुंदर व आनंद पूर्ण प्रतीत होगा और सब मानव अपने लगने लगेंगे, हमारे अंदर एडजस्ट करने की पावर भी बढ़ेगी. जीवन में शांति और आनंद भरने लगेगा.
देर आए दुरुस्त आए, जब जागो तभी सवेरा की तर्ज पर ही सही, विचारों में सकारात्मक परिवर्तन लाना अति आवश्यक है. और ये सब उच्च विचारों के ग्रहणीकरण, चिंतन मनन एवं आचरण से ही संभव है.
यह निम्नांकित वाक्य जो मैंने कहीं पढ़ा था मुझे बहुत प्रेरणा देता है कठिन परिस्थितियों में संभलने के लिए. शायद आपके भी काम आ सके और आपकी सोच भी इस प्रकार बदल सके कि जीवन की कठिन परिस्थितियां आपको आसान लगने लगे...
"परिस्थितियां टनल यानी गुफा की तरह है. आप जीवन की रेल में बैठे हुए टनल से गुजर रहे हैं. गुफा से बाहर आते ही प्रकाश हो जाता है. टनल अलग है और आप अलग है. गुफा, रेल और प्रकाश सब अलग-अलग है."
इसका अर्थ यह है कि परिस्थितियां हमसे अलग हैं इन्हें अपने पर हावी ना होने दें. खुशी हमारे भीतर है यह बाहर की परिस्थितियों या अन्य किसी बाहरी चीज पर निर्भर नहीं है.
इस प्रकार हमें अगर सोचने के लिए एक सही दिशा मिल जाए तो हम उस सोच के द्वारा अपने जीवन को बहुत ही सुंदर रूप दे सकते हैं.
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किस तरह हम अपने जीवन की कठिनाइयों को सकारात्मक सोच द्वारा सुंदर बना सके इस पर आप भी कमेंट बॉक्स में अपने विचार दीजिए और पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया भी अवश्य दीजिए.
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