मां के गर्भ में स्थित भ्रूण कन्या का अपनी मां से निवेदन, एक विनती मार्मिक कविता के रूप में..... बेटियों को जन्म देने के बारे में समाज की सोच में हालांकि अब काफी सकारात्मक परिवर्तन हुआ है फिर भी कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं गाहे-बगाहे सुनने में आ ही जाती है. प्रस्तुत कविता में समाज की इसी सोच पर चोट करने की कोशिश की गयी है. नारी कमजोर नहीं, पढ़े यह कविता 'मैं नारी' कन्या भ्रूण हत्या पर मेरी यह कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है- कन्या-भ्रूण हत्या कोख अपनी ना तुम यूं उजाड़ो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या नाम रोशन तेरा मैं करूँ देखना तेरी परछाई बन मैं रहूँ देखना बेटे से कम ना मुझको विचारो मां बेटी बन कोख में आ गई मैं तो क्या
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...