जहर का नाम सुनते ही हर कोई घबरा जाता है. मगर यदि कभी ऐसी परिस्थिति आ जाये कि कोई जहर खाले तो घबराने से तो काम नहीं चलेगा. डाक्टर के पास ले जाने में भी थोड़ा समय तो अवश्य लगेगा. ऐसे में तब तक स्वयं को संयत रखते हुए मरीज का उपचार करना अति आवश्यक है.
तो यहां यही बताने की कोशिश की गयी है कि डाक्टर तक पहुँचने से पहले जहर खाये मरीज का किस प्रकार अर्थात क्या और कैसे मरीज का उपचार करें.
यदि किसी को जहर दिया गया हो या उसने स्वयं खाया हो तो क्या और कैसे करें उपचार...
जितना शीघ्र हो सके जहर खाये व्यक्ति को जहर खाने के १० मिनिट के भीतर ही भीतर डॉक्टर के पास ले जायें और यदि इतना शीघ्र डॉक्टर के पास ले जाना संभव ना सके तो ये उपचार शीघ्र से शीघ्र करें.
जहर मृत्यु का दूसरा नाम है. अक्सर घरों में किसी न किसी काम के लिए किसी भी रूप में हलका या तीव्र जहर मौजूद रहता ही है चाहे वह चूहों आदि या कीट पतंगों को मारने के लिए हो या किसी दवाई के रूप में हो या घर की सफाई के लिए किये जाने वाले डिटर्जेंट पदार्थों जैसे फिनाइल आदि के रूप में.
जैसे ही लगे की पीड़ित ने जहर खाया है या उसे जहर पिलाया गया है, तो सबसे पहले उस कमरे की जाँच करनी चाहिए। वहां जहर की खाली शीशी, पुड़िया, रैपर, डिब्बा कोई न कोई चिह्न मिल सकता है जिससे पता चल सकता है कि व्यक्ति ने किस प्रकार का जहर खाया है या दिया गया है. तदनुसार ही प्रतिरोधक दवा देकर मरीज़ की बचायी जा सकती है.
व्यक्ति गलती से भी जहर खा सकता है और कभी कभी निराशा की स्थिति में जानबूझ कर भी. खैर! कारण कुछ भी हो मरीज़ का अतिशीघ्र उपचार प्रारम्भ होना चाहिए वरना व्यक्ति की मौत भी हो सकती है.
मुख्य बात है कि जहर खाने के कितने समय के बाद व्यक्ति की मौत हो सकती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रकार का जहर खाया गया है और जहर खाये हुए कितनी देर हुई है.
जहरों के प्रकार--
कुछ जहर कम विषैले होते है तो कुछ बहुत तीव्र होते है. नींद की गोलियां, टेबलेट, कैप्सूल जो सीधे पेट में जाते है इनका असर थोडी देर बाद होता है पर चूहे मारने की दवा, फिनाइल, कपूर की गोलियां बेहद खतरनाक और एकदम असर दिखने वाली होती है.
हलके जहरीले पदार्थ, शैम्पू, क्लीनर, डेटोल इनमे बहुत ज्यादा जहर नहीं होता.
इन्हे खाकर मरीज़ अक्सर उलटी कर देता है और अगर नहीं कर रहा हो उलटी तो उसे किसी न किसी तरह उलटी करा कर दूध पिला देना चाहिए.
चाहे कैसा भी जहर हो तीव्र या हल्का मरीज़ को उलटी अवश्य कराई जानी चाहिए।
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जहरों का वर्गीकरण इस तरह भी किया जा सकता है--
यूं तो विष या जहर कई प्रकार के होते हैं लेकिन विशेषतया छह भागों में रखा जा सकता है.
1. वाहक विष
2. अवाहक विष
3. उत्तेजक विष
4. स्वापक विष
5. प्रलापक विष
6. आक्षेपक विष
1. वाहक विष--
वाहक विष क्षारयुक्त होते है और शरीर को जहाँ से भी स्पर्श करते हैं शरीर को वहीँ से जला देते हैं. जैसे - कार्बोलिक एसिड, तेज़ाब।
2. अवाहक विष--
जो जहर शरीर को जलाये बिना असर करते हैं वे अवाहक विष कहलाते है. जैसे- नीला थोथा.
3. उत्तेजक विष--
जिनके असर से अंग जलता तो नहीं पर शरीर में जलन उत्पन्न जाती है. ऐसे विष उत्तेजक विष कहलाते हैं. जैसे- पारा, मिटटी का तेल, संखिया (Arsenic)
4. स्वापक विष--
स्वापक विषों के प्रभाव से गहरी नींद या बेहोशी आती है. जैसे कोकीन, एस्प्रिन आदि.
5. प्रलापक विष--
प्रलापक विष वो जहर होता है जिसका प्रभाव सीधे स्नायु संस्थान पर पड़ता है. जैसे धतूरा।
6. आक्षेपक विष--
आक्षेपक विष के अंतर्गत पोटैसियम साइनायड जैसे रसायन रखे जाते है.
विष का उपचार --
मरीज को जितना शीघ्र हो सके डॉक्टर के पास ले जाए. उस बीच कोई भी विष हो उलटी जरूर करवाए। उस बीच प्राथमिक उपचार के रूप में किसी न किसी तरह उलटी कराना ही एकमात्र उपाय है. उलटी कराने के लिए निम्न उपचार करें--
1. उलटी कराने के लिए सरसों के बीज पीस कर पानी में मिला कर चम्मच से उस व्यक्ति के मुंह मे डालें. उलटी करने से जहर बाहर आ जाएगा।
2.. एक गिलास पानी में मुठठी भर नमक डाल कर हिला कर मिला ले और मरीज को पिला दें. उसे उलटी हो जायेगी।
3. मरीज़ के गर्दन के पीछे से थपथपाएं और उसके तालू को दबा कर रखे. उलटी का सैंपल जरूर साथ रख लें. यह मेडिकल जांच के काम आएगा
4.कच्चा अंडा फेंट कर पानी में घोल कर पिलाने से भी उलटी हो जाती है.
5. आटा पानी में घोल कर पिलाने से भी उलटी हो जाती है.
6. धतूरा का जहर भी काफी तेज़ जहर होता है. इसे खाने से चक्कर आना,ऊंटपटांग बोलना, मुंह लाल होना लक्षण दिखाई देते है। ऐसे में उलटी करने के लिए बिनौलों (कपास के बीज) को दूध में पीस कर पिलायें या फिर गाय का घी भी दे सकते है.
7. यदि किसी ने नीला थोथा खा लिया है तो उसमे पेट दर्द, हृदय गति रूक जाना पतले दस्त हो सकते है.ऐसे में कच्चा अंडा फेंट कर या फिर आटा पानी में घोल कर पिलाने से भी उलटी हो जाती है
8. चूहा मरने वाली दवा भी घातक होती है क्योंकि इसमें बहुत विषैले पदार्थ होते है. शीघ्र उलटी कराने से ही आराम होता है.
9. यदि किसी ने पारा खा लिया हो तो पानी में अंडे का सफ़ेद भाग मिलकर देना चाहिए। फिर उलटी करा देनी चाहिए।
10. कीटनाशक दवाएं जैसे खटमल, मच्छर, मक्खी, जुएं मरने वाली दवा खाने पर भी मरीज़ को उलटी कराएं।
ध्यान देने योग्य बात---
जहर खाने के बाद व्यक्ति बेहोश होने लगता है और साँस लेना भी बंद करने लगता है। ऐसी अवस्था में उसे उलटी नहीं करवाए बल्कि मुँह के द्वारा साँस देने की कोशिश करें।
जब तक उलटी करते रहे जब तक कि उलटी में साफ़ पानी ना निकलने लगे.
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निष्कर्ष यह है कि उलटी कराना ही एकमात्र उपाय है। यदि समय पर उपचार शुरू हो जाये तो मरीज़ के बचने की सम्भावना बढ़ जाती है।
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