गोलगप्पों का भला कौन शौकीन नहीं होता? क्या लड़के, क्या लड़कियां, शादी ब्याह में भी आप देखते होंगे कि लोग बड़े चटखारे ले लेकर गोलगप्पे खाते हैं.
गोलगप्पे या पानीपूरी सब की पसन्द..
गोलगप्पें खाएं पर सोच-समझ कर |
अगर गोलगप्पे खाने ही हैं तो शौक से घर में बना कर खाइए मन भर कर, वे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी नहीं होंगे.
घर में जब हम गोल-गप्पे बनाते हैं जिन्हें पानी-पूरी भी कहा जाता है तो पुदीने का पानी बनाते हैं और खटाई की जगह हम घर में बनाई हुई आम की खटाई, अमचूर या इमली का प्रयोग करते हैं किंतु सड़क-चौराहे और नुक्कड़ों पर खड़े ठेलों पर चटपटे पानी के साथ चटकारे लेकर आप जो गोलगप्पे खाते हैं उसमें पुदीने की जगह एसेंस और खटाई की जगह टारटैरिक एसिड या फिर टॉयलेट क्लीनर (ऐसिड) तक हो सकता है. हालांकि बड़े प्रतिष्ठानों में साफ-सफाई और सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन जब हम घर से बाहर की चीज खा रहे हैं तो किसी भी चीज का क्या भरोसा.
एक गोलगप्पे वाले से बात हुई तो उसने पहली शर्त तो यह रखी कि उसका नाम ना कहीं ना लिया जाए. हमने उसे आश्वासन दिया तब उसने यह बताया कि महंगाई के कारण और कम वक्त में चटपटा और स्वादिष्ट जायकेदार पानी बनाने का तरीका गोलगप्पे बेचने वालो ने यह खोजा है कि नींबू, पुदीना, काला नमक आदि से पानी बनाने की जगह वो लिए हरे रंग यानी कि पुदीने का एसेंस, तेज मिर्च वाले पानी के लिए भी हल्के पीले रंग और फ्लेवर, पानी को चटपटा और जायकेदार बनाने के लिए भी सस्ते मसालों के साथ टारटैरिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं.
गोलगप्पे बेचने वालों को अपने मुनाफे से मतलब है, खाने वालों के स्वास्थ्य से इन्हें कोई लेना देना नहीं है. मगर हमें तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना है ना इसलिये ठेले आदि पर गोलगप्पे खाने से परहेज करें और जब गोलगप्पे खाने का मन करे तो घर पर ही बनाकर खाएं.
यदि कभी ठेलों पर गोलगप्पे खाए भी तो यह सावधानियां अवश्य रखें.
एक गोलगप्पे वाले से बात हुई तो उसने पहली शर्त तो यह रखी कि उसका नाम ना कहीं ना लिया जाए. हमने उसे आश्वासन दिया तब उसने यह बताया कि महंगाई के कारण और कम वक्त में चटपटा और स्वादिष्ट जायकेदार पानी बनाने का तरीका गोलगप्पे बेचने वालो ने यह खोजा है कि नींबू, पुदीना, काला नमक आदि से पानी बनाने की जगह वो लिए हरे रंग यानी कि पुदीने का एसेंस, तेज मिर्च वाले पानी के लिए भी हल्के पीले रंग और फ्लेवर, पानी को चटपटा और जायकेदार बनाने के लिए भी सस्ते मसालों के साथ टारटैरिक एसिड का इस्तेमाल करते हैं.
गोलगप्पे बेचने वालों को अपने मुनाफे से मतलब है, खाने वालों के स्वास्थ्य से इन्हें कोई लेना देना नहीं है. मगर हमें तो अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना है ना इसलिये ठेले आदि पर गोलगप्पे खाने से परहेज करें और जब गोलगप्पे खाने का मन करे तो घर पर ही बनाकर खाएं.
यदि कभी ठेलों पर गोलगप्पे खाए भी तो यह सावधानियां अवश्य रखें.
बरतें ये सावधानियां जब बाजार गोलगप्पे खाने जायें---
1. जिस टंकी में गोलगप्पे वाला पानी रखता है उस टंकी की भीतरी सतह देखें यदि यह अपना सतह यदि अपना रंग छोड़ चुकी है तो हो सकता है कि पानी में एसिड का प्रयोग किया जा रहा है.
2. स्टील के प्लेट में भी रंग परिवर्तन एसिड की उपस्थिति का संकेत देता है.
3. पानी पूरी खाते ही यदि दांत पर कुछ जमने जैसा अनुभव हो तो यह माना जाता है कि इसमें केमिकल्स मिलाए गए होंगे.
4. टारटरिक एसिड या एसिटिक एसिड तथा एसएनसी से तैयार पानी पेट में पहुंचने के बाद पेट में जलन महसूस कराने लगता है.
5. गोलगप्पे बेचने वालों की यदि हम उंगलियों को देखें तो उसे भी पता लग जाता है क्योंकि वह बार-बार गोलगप्पे में पानी भर कर ग्राहकों को देता है तो उनकी उंगलियां आगे से बदरंगी हो जाती है.
ऐसे गोलगप्पे खाने से खतरे---
- पेट दर्द और आंतों में सूजन व छाले हो सकते हैं.- एसिडिटी व पाचन प्रक्रिया बिगड़ जाती है
- ठेले वालों के गोलगप्पे खाने से डायरिया डिहाइड्रेशन होने की आशंका भी रहती है.
- लंबे समय तक अधिक गोलगप्पे खाए खाने पर लीवर भी खराब होने का डर रहता है.
- ठेले पर पानी पूरी बेचने वाले प्राय: साफ सफाई का ध्यान भी नहीं रखते हैं. इनके सेवन से उल्टी दस्त, पीलिया जैसी शिकायतें भी हो सकती है.
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि बाहर गोलगप्पे खाने पर स्वास्थ्य को हानि भी हो सकती है अतः यह लेख पढ़कर आप गोलगप्पे खाने से पहले एक बार अवश्य सोचेंगे.
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रेसिपी
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