हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक पर लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.
एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.
हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी। ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.
कविता का आनंद ले-.
हास्य कविता- मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ
श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगेतंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य
हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे.
कविता एक हास्य की, हमने भी लिख मारी
कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी
पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे
नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे.
कहा हमने बोरिंग नहीं, कविता हंसने वाली है
बोले तपाक से अच्छा, बीवी नहीं है साली है
सोचा उकसायें भले ही, कितना हम नहीं लड़ेंगे
कविता मगर सुना के, इन्हें रहेंगे, ना टरेंगे
कहा मैंने, हम बात, कविता की करते हैँ
दिल्ली वाली, भई उसपे, तो हम भी मरते हैँ
बाँध सब्र का टूट ही, गया अब ना सहेंगे
खबर इनकी अब हम, बस लेकर ही रहेंगे
फाड़ कविता का पन्ना, इनके मुंह पे मारा
इनके भीतर का कवि, अब कांप गया बेचारा
उड़ रहे थे बहुत आसमां, पर अब नीचे उतरेंगे
खींसे निपोरेंगे, कान पकड़ेंगे, खुशामद भी करेंगे
अरे डार्लिंग मैं यूहीं, तुमसे मजाक करता हूँ
श्रोता सुनके हँसेंगे मैं, बिन सुने हँसता हूँ
वाह वाह करता हूँ, अब ना चूँ -चां करेंगे
निकल गयी हेकड़ी सारी, चुपचाप अब कविता सुनेंगे.
अरे डार्लिंग मैं यूहीं, तुमसे मजाक करता हूँ
श्रोता सुनके हँसेंगे मैं, बिन सुने हँसता हूँ
वाह वाह करता हूँ, अब ना चूँ -चां करेंगे
निकल गयी हेकड़ी सारी, चुपचाप अब कविता सुनेंगे.
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