एक बाल प्रार्थना ' भगवन हमें सुबुद्धि देना ' जिसमें बच्चे भगवान से सुबुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना कर रहे हैं.... बाल - मन बड़ा कोमल, निर्दोष और पवित्र होता है. हमारी भारतीय संस्कृति में बचपन से ही घर पर और स्कूल आदि में बच्चों को प्रार्थना करना सिखाया जाता जिसमे बच्चे ईश्वर से उन्हें सबुद्धि और शक्ति तथा समस्त सद्गुणों को प्रदान करने की प्रार्थना करते है. बचपन ही ऐसी अवस्था होती है जब बच्चे हर छल-कपट और भौतिकता से दूर होते है. उनका निर्दोष स्वच्छ मन सुसंस्कारों को धारण करने की क्षमता रखता है. कच्ची मिटटी की तरह उन्हें जैसा ढालना चाहे हम ढाल सकते है. घर व स्कूल आदि में सिखायी जाने वाल बाल-प्रार्थनाएँ यह भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाती है. मां पर एक बाल कविता पढें- मां की बस यही परिभाषा गृह-स्वामिनी पर बच्चों के लिए ऐसी ही एक बाल प्रार्थना बाल कविता के रूप में.. भगवन हमें सुबुद्धि देना छोटे बच्चों के हृदय में ईश्वर निवास करता है. इसीलिए ईश्वर मासूम बालकों के हृदय की पुकार को अवश्य सुनता है. इस कविता में बच्चे हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...