एक बाल प्रार्थना 'भगवन हमें सुबुद्धि देना' जिसमें बच्चे भगवान से सुबुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना कर रहे हैं....
बाल-मन बड़ा कोमल, निर्दोष और पवित्र होता है. हमारी भारतीय संस्कृति में बचपन से ही घर पर और स्कूल आदि में बच्चों को प्रार्थना करना सिखाया जाता जिसमे बच्चे ईश्वर से उन्हें सबुद्धि और शक्ति तथा समस्त सद्गुणों को प्रदान करने की प्रार्थना करते है.
बचपन ही ऐसी अवस्था होती है जब बच्चे हर छल-कपट और भौतिकता से दूर होते है. उनका निर्दोष स्वच्छ मन सुसंस्कारों को धारण करने की क्षमता रखता है. कच्ची मिटटी की तरह उन्हें जैसा ढालना चाहे हम ढाल सकते है. घर व स्कूल आदि में सिखायी जाने वाल बाल-प्रार्थनाएँ यह भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाती है.
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गृह-स्वामिनी पर बच्चों के लिए ऐसी ही एक बाल प्रार्थना
बाल कविता के रूप में..
भगवन हमें सुबुद्धि देना
छोटे बच्चों के हृदय में ईश्वर निवास करता है. इसीलिए ईश्वर मासूम बालकों के हृदय की पुकार को अवश्य सुनता है. इस कविता में बच्चे हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं कि ईश्वर उनको अच्छा इंसान बनाए और उनका जीवन देश हित में काम आये. यह प्रार्थना स्कूल कार्यक्रमों और सांस्कृतिक प्रोग्रामों में कहीं भी गायी जा सकती है.
भगवन हमें सुबुद्धि देना
माने सदा बड़ों का कहना
गुरुजनों का मान करें हम
एक अच्छा इंसान बने हम
लक्ष्य हमारा सदा यही रहे
सच्चे पथ पे चलते रहना
भगवन हमें सुबुद्धि देना
माने सदा बड़ों का कहना
बाधाओं से कभी डरे ना
जोश रहे पर होश ना खोये
सीखे हंस कर सब सहना
भगवन हमें सुबुद्धि देना
माने सदा बड़ों का कहना
भगवन हमें सुबुद्धि देना
माने सदा बड़ों का कहना
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