श्राद्ध पर्व के दिनों में अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना हमारी पुरानी परंपरा है़. ब्राह्मणों और कौवों में अपने पुरखों का रूप मान हम उन्हें श्रद्धा पूर्वक भोजन कराते हैं. बाबा को श्रद्धांजलि यह कविता भी पढ़ें चलिए एक परंपरा हम इस तरह निभा देते हैं मगर क्या इस परंपरा का भाव मात्र यही है कि श्राद्ध वाले दिन अपने पूर्वजों की याद में ब्राह्मणों को भोजन करा कर परंपरा को निभा दिया जाए एक लीक पीटने की तरह.
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...