एक प्रश्न नारी के व्यथित अन्तर्मन से.. एक विधवा नारी की व्यथा पर एक कहानी 'अकेली ' के रूप में.... क्या नारी सदा पराधीन और शक के घेरे में ही रहेगी. कभी पिताके, कभी पति के, कभी बेटे के. क्या पढ़ लिख कर और आत्मनिर्भर होते हुए और सारे दायित्व निभाते हुए भी परवशता का एहसास ढ़ोना नारी की शाश्वत नियति बन कर रह गयी है. एक प्रश्न नारी के व्यथित अन्तर्मन से.. एक कहानी 'अकेली ' के रूप में.... नारी विडम्बना पर पढ़ें- कन्या-भ्रूण हत्या कविता मां की कोख में स्थित कन्या-भ्रूण की मां से विनती अकेली उसने सिर उठा कर आकाश की ओर देखा, अचानक ही काले-काले बादल घिर आये थे. तेज बारिश होने की सम्भावना थी. जल्दी-जल्दी घर की तरफ कदम बढ़ाते हुए उसने सोचा, यह जीवन भी आसमान की तरह ही है. अभी-अभी सब कुछ साफ़, स्पष्ट उजला - उजला सा जीवन, फिर अचानक ही ना जाने कहाँ से विडम्बनाओं के काले-काले बादल आकर जीवन को अंधकार से ढक देते हैं. नियति कभी जीवन- पटल पर इंद्र - धनुषी रंग बिखेर देती है तो कभी मांग से सिन्दूर पोंछ , अधरों से लालिमा छीन जीवन का सम्पूर्ण लालित्
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...