ब्लाग 'गृह-स्वामिनी ' पर पिछली पोस्ट में आपने पढ़ा था एक कृष्ण भजन ' हँँस हँस के मोहे रिझाये गयो रे ' . जन्माष्टमी के उपलक्ष में साँवरे के सलोने रूप और उनकी लीलाओं को वर्णित करता एक हिन्दी भजन और पढ़ें ....... यदि पसन्द आये तो comment कर के प्रतिक्रिया भी दें. तो प्रस्तुत है एक नया कृष्ण भजन ... तेरा हर रूप है मनोहारी श्री कृष्ण का मनोहारी रूप
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...