प्रेमी की उपेक्षा से आहत प्रेमिका के मनोभावो को प्रदर्शित करती - A Long Love Poetry In Hindi 'किनारा' नारी का मन जितना कोमल होता है, उतनी ही वह महान भी होती है. किन्तु प्रेमी के प्रति उसका प्रेम कम नहीं होता और उसके मन में यही आस जगी रहती है कि उसका प्रेमी लौटकर उसके पास अवश्य आएगा. तो प्रस्तुत है प्रेयसी के त्यागपूर्ण और महान प्रेम की नदी के किनारे से प्रतीकात्मक तुलना करती हुई- एक लंबी हिंदी प्रेम कविता- 'किनारा' Love Poem- 'Kinara' तुम अपने आज में मशगूल हो और मेरे पास तुम्हारा कल सुरक्षित है तुम्हारे लिए तुम्हारा अतीत व्यर्थ की वस्तु है, मगर मेरा भूत, मेरा वर्तमान और मेरा भविष्य तुम्हारे उस कल को ही समर्पित है कभी तुमने मुझसे कहा था तुम मेरा किनारा हो तुम ही मेरा जीवन तुम ही सहारा हो और तब से मैं किनारा बन खड़ी हूं, मगर तुम नदी बन बह गए ढूंढ लिए तुमने नए किनारे, किंतु मेरे सब सहारे ढ़ह गए सच ही है भला किनारे क्या कभी बहती धारा को रोक पाए हैं जल के आवेग के सम्मुख वो सदा ही डूबे डुबाये हैं मैं खड़ी हूं पथराई आंखें लिए तुम्हारे अतीत
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...