प्रस्तुत है एक और कृष्ण भजन जिसे आप लय में सस्वर तथा ढ़ोलक आदि पर भी गा कर किसी भी उत्सव या गीत-संध्या, जागरण या कीर्तन में रंग जमा सकते हैँ. यह भजन कृष्ण विरह का भजन है जिसमें कृष्ण के मथुरा चले जाने पर उनकी याद में माँ यशोदा, गोप-ग्वालों, गोपियों और राधा तथा गायों की व्याकुलता को दर्शाता है. तो प्रस्तुत है आप के लिए जन्माष्टमी के अवसर पर.. कृष्ण भजन- भोली यशोदा लुट गई रे कन्हाई तेरे प्यार में Krishna Ka Mathura gaman
पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर पति द्वारा जीवन संगिनी अर्थात पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह भावपूर्ण कविता ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक कविता . आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...