सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

एक अनुभूति पूरक कविता- जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

Best Gazals

प्रेम की सूक्ष्म व अलौकिक अनुभूति का प्रस्तुतिकरण कविता रूप में.....जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में 

पढ़ें एक और अनुभूति पूरक कविता 'क्षितिज के पार

इस कविता को प्रेम-गीत भी कहा जा सकता है मगर यह स्थूल प्रेम का गीत नहीं वरन् प्रेम की उस सूक्ष्म व अलौकिक अनुभूति का प्रस्तुतिकरण है जिसका कोई साकार रूप नहीं होता, बस झिलमिल सी एक पहचान, अपनेपन का अव्यक्त सा आभास जिसका सांसारिकता से कोई लेना-देना नहीं होता. शायद पिछले जन्म की कोई पहचान होती होगी इस तरह की अनुभूतियों के पीछे....शायद.

क्या आपको भी कभी ऐसी अनुभूति हुई है कि किसी को देखकर आपको ऐसा लगा हो कि इस शख्स को हम ना जाने कितने जन्मों से जानते हैं कुछ ऐसी ही अनुभूति लिए मेरी यह मौलिक काव्य गीत रचना आपके लिए:-
दार्शनिक कविता पढें-विरोधाभास

जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में 

 

एक श्रंगारिक गीत पढ़ें 'समर्पण भावों का' पढ़ें 


खोए से हैं अब तलक हम उस सुवास में
जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

गंध बन हमको मिले तुम रूप सरीखे एक कहानी ज्यों उतर आई नभ से, नीचे
बंध रहे हैं हम ना जाने कैसे पाश में
जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

रूप कोई भी नहीं नयनों में है छाया हुआ
कौन फिर यह स्मृतियों में आके मुस्काया
क्यों सुधा रस में है भीगे हम अंतर्वास में
जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

करती है संकेत अनल हमको अनदेखे हुए
स्पर्शों के रूप हैं पर जाने पहचाने हुए
चांदनी की छिटकी है मन के आकाश में
जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में

ना कोई रुप, ना दृश्य, ना चाह या आकर्षण
जैसे कोई अपने को ही दे भला क्या आमन्त्रण
सत्य ही होते हैं या होते प्रसंग ये परिहास में
जैसे कोई मिल गया परिचित हमें प्रवास में.
   विवाह आदि फंक्शंस पर गाने के लिए चौसर पर लोकगीत            --------
सुवास - सुगंध
प्रवास - घर से अलग दूसरी जगह      रहना, परदेश
परिहास - मजाक
गीतों की पालकी पढ़ें

टिप्पणियाँ

लेबल

ज़्यादा दिखाएं

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों...

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये ...

नारी के प्रति बलात्कार व अत्याचार पर आक्रोश व्यक्त करती एक कविता-'औरत'

नारी स्वभावत: ममतामयी व सहनशील होती है किंतु उसके इस स्वभाव को उसकी कमजोरी मान लिया जाता है और उस पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं. किन्तु औरत कमजोर नहीं है़. जब वह  आक्रोश में आ जाए तो वह चंडी का रूप धारण कर समस्त दुष्टों का नाश भी कर सकती है. नारी के आक्रोश को व्यक्त करती है यह कविता पढ़ें जिस का शीर्षक है ' औरत"

मखाने से बना झटपट नाश्ता बनाने की रेसिपी

 मखाने से बना झटपट नाश्ता मखाने से तैयार नाश्ता हम लाए हैं आपके लिए मखाने  से बनी झटपट नाश्ता बनाने की रेसिपी ... आशा है आपको पसंद आएगी और आप इसे झटपट घर पर बनाकर  झटपट से बच्चों को खिलाएंगे और झटपट खुद भी खाएंगे और मजा लेंगे. तो चलिए शुरू करते हैं .... मखाने से बनी   झटपट नाश्ता डिश की रेसिपी--