गोलगप्पों का भला कौन शौकीन नहीं होता? क्या लड़के, क्या लड़कियां, शादी ब्याह में भी आप देखते होंगे कि लोग बड़े चटखारे ले लेकर गोलगप्पे खाते हैं. गोलगप्पे या पानीपूरी सब की पसन्द.. गोलगप्पें खाएं पर सोच-समझ कर गोलगप्पों का शौकीन होना बुरी बात नहीं है मगर क्या कभी सोचा है कि चौक-चौराहे, सड़क-किनारे और नुक्कड़ों पर खड़े हुए इन ठेलों पर गोलगप्पे खाना आपकी सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हैं.
हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी. एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं. हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी। ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं. कविता का आनंद ले-. हास्य कविता- मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...