'काव्य' के अन्तर्गत एक गीत आपके लिए......
दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है
दिल में तेरे प्यार को मैंने
गिरह बांधकर रखा है
गिरह बांधकर रखा है
मत देखो कि जीवन किस
सांचे में ढाल कर रखा है
ऊपर से जो दिखता हूं मैं
दुनिया की मेहरबानी है
मेरे भीतर झांक के देखो
अलग ही एक कहानी है
दिल के अंदर मंदिर है
दिया बाल कर रखा है
दिल में तेरे प्यार को मैंने
गिरह बांध कर रखा है
मत देखो कि जीवन किस
सांचे में ढाल कर रखा है
चल-चल के थक जाता हूं
मन की देहरी लँघ लेता हूं
यादों में तुझ संग रो, हंस
कुछ पल मैं भी जी लेता हूँ
दिखता हूं कंगाल, दिल में
अनमोल खजाना रखा है
दिल में तेरे प्यार को मैंने
गिरह बांध कर रखा है
मत देखो कि जीवन किस
सांचे में ढाल कर रखा है
मुझको और चाहिए भी क्या
जग कहे उसे जो कहना
तब भी तुझे देख के जीता
अब भी बस तेरा सपना
मूंद लिए हैं नैन अपने
पलकों में संभाल रखा है
दिल में तेरे प्यार को मैंने
गिरह बांध कर रखा है
मत देखो कि जीवन किस
सांचे में ढाल कर रखा है
गीतों की पालकी
गीतों की पालकी