बेटियों को जन्म देने के बारे में समाज की सोच में हालांकि अब काफी सकारात्मक परिवर्तन हुआ है फिर भी कन्या-भ्रूण हत्या की घटनाएं गाहे-बगाहे सुनने में आ ही जाती है. अभी समाज की सोच में पूर्ण परिवर्तन की आवश्यकता है. कन्या भ्रूण हत्या पर मेरी एक कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है.
शादी विवाह,बच्चे के जन्म आदि के अवसरों पर ढ़ोलक पर गाने के लिए सॉन्ग लिरिक्स
भ्रूण हत्या
मां मुझको बतलाओ तुम
बेटी पैदा होती है जब
मातम जैसा क्यों होता है
जिसको लक्ष्मी कहते हैं
जो सृष्टि का सृजन करती
नौ माह स्वयं कष्ट सह जो
वंश वाहक का वहन करती
घर की ऐसी देवी का अभिनंदन
शोकित हृदय से क्यों होता है
मां से पूछा बेटी ने
मां मुझको बतलाओ तुम
बेटी पैदा होती है जब
मातम जैसा क्यों होता है
आंगन में चिड़िया ना चहके
तो घर सूना लगता है
आंगन में तुलसी होती है तो
दीपक बलता अच्छा लगता है
घर की ऐसी खुशियों का अंत
मां के हाथों क्यों होता है
मां से पूछा बेटी ने
मां मुझको बतलाओ तुम
बेटी पैदा होती है जब
मातम जैसा क्यों होता है
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