बड़ा अनमोल बड़ा कीमती होता है भाई बहन का प्रेम और मधुर रिश्ता कितना भी लड़-झगड़ लें लेकिन एक दूसरे के प्रति प्यार और शुभ भावनाएं मन में सदा विद्यमान रहती है.
बचपन के गलियारे में
रक्षाबंधन के पावन अवसर पर ब्लाग गृह-स्वामिनी पर काव्य के अन्तर्गत भाई-बहन पर प्यारी सी कविता ......
बहनों के लिए उनका भाई उन्हें उनके मायके से जोड़े रखने की एक महत्वपूर्ण कड़ी होता है.भाई-बहन के अनमोल रिश्ते का महत्व रक्षाबंधन और भाई दोज जैसे पावन त्यौहारों पर और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता है. प्रस्तुत है रक्षाबंधन के शुुुभअवसर पर मेरी यह कविता.......
रहे सलामत मेरा भैया
संग संग हम खेले
वह रूठना और मनाना
रेशम सा यह कोमल
रहे सलामत मेरा भईया
लगे रहे यहां मेले.
वह रूठना और मनाना
मुंह फुला कर बैठ जाना
शिकायत कर माँ
से पिटवाना
जीभ निकाल कर
मुंह चिढ़ाना
खाने की चीजों पर
छीन झपटना
हंसना, रोना और
पैर पटकना
पापा डांटे तो माँ के
कितने ही ऐसे खेले
बचपन के गलियारे में
हम संग संग खेले.
उन यादों की डोरी को
तेरी कलाई से बांधू
सारी दुआएं इसमें अपनी
चंदा तारों सी टाँकू
सारी बलाएं लेंलू तेरी
नेह डोर से तुझे बांधू
कभी ना तुझको
लगूँ मैं बंधन, भैय्या
रेशम सा यह कोमल
प्यारा नाता साधूँ
मेरे नेहर की तू पूंजी
अनमोल बड़े है
ये रिश्ते अलबेले
बचपन के गलियारे में