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आधुनिक परिवेश पर एक कविता- हर दिल में है एक चमन

आधुनिक परिवेश में रिश्ते-नातों की गर्माहट खोती जा रही है. हर कोई भौतिकता की दौड़ में भागा जा रहा है. हर कोई इन्टरनेट पर व्यस्त है. एक दूसरे से मिलने का समय ही नहीं है किसी के पास. इसी माहौल को दृष्टि में रखते हुए एक मौलिक कविता 'हर दिल में है एक चमन'... प्रस्तुत है   कविता आधुनिक परिवेश पर.... आशा है कविता आपको अवश्य पसन्द आयेगी.   हर दिल में है एक चमन हर दिल में है एक चमन फूल पर खिलते नहीं

बाल प्रार्थना- भगवन हमें सुबुद्धि देना

एक बाल प्रार्थना ' भगवन हमें सुबुद्धि देना ' जिसमें बच्चे भगवान से सुबुद्धि प्रदान करने की प्रार्थना कर रहे हैं.... बाल - मन बड़ा कोमल, निर्दोष और पवित्र होता है. हमारी भारतीय संस्कृति में  बचपन से ही घर पर और स्कूल आदि में बच्चों को प्रार्थना करना सिखाया जाता जिसमे बच्चे ईश्वर से उन्हें   सबुद्धि और शक्ति तथा समस्त सद्गुणों को प्रदान करने की प्रार्थना करते है.  बचपन ही ऐसी अवस्था होती है जब बच्चे हर छल-कपट और भौतिकता से दूर होते है. उनका निर्दोष स्वच्छ मन सुसंस्कारों को धारण करने की क्षमता रखता है. कच्ची मिटटी  की तरह उन्हें जैसा ढालना चाहे हम ढाल सकते है. घर व स्कूल आदि में सिखायी जाने वाल बाल-प्रार्थनाएँ यह भूमिका बहुत अच्छी तरह निभाती है.   मां पर एक बाल कविता पढें- मां की बस यही परिभाषा गृह-स्वामिनी पर बच्चों के लिए ऐसी ही एक बाल प्रार्थना    बाल कविता  के रूप में.. भगवन हमें सुबुद्धि देना   छोटे बच्चों के हृदय में ईश्वर निवास करता है. इसीलिए ईश्वर मासूम बालकों के हृदय की पुकार को अवश्य सुनता है. इस कविता में बच्चे हाथ जोड़कर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे है

बाल कविता 'माँ की बस यही परिभाषा'

मां बच्चों के लिए सब कुछ होती है. मां की गोद में आकर बच्चों को सब कुछ मिल जाता है हम लेकर आए हैं आपके लिए मां पर एक  बाल कविता -- माँ की बस यही परिभाषा पढ़ें एकबाल प्रार्थना 'भगवन हमको सुबुद्धि देना' माँ ही जमीं है माँ ही आसमाँ बच्चों के लिए माँ सारा जहाँ

कविता- सत्य है शमशान की राख

कविता-- सत्य है शमशान की राख

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये  प्रेम-रोगी  सांसो में जो बस जाए  क्या मन वो भुला पाया 

एक साहित्यिक कविता " अक्सर मुखड़े तो रच जाते हैं"

कविता-- अक्सर मुखड़े तो रच जाते हैं प्रस्तुत है आपके लिए एक साहित्यिक कविता .... अक्सर मुखड़े तो रच जाते हैं अक्सर मुखड़े तो रच जाते हैं  पर अंतरे ढूंढने पड़ते हैं  जिंदगी छोड़ जाती कुछ प्रसंग  हमें संदर्भ ढूंढने पड़ते हैं

कविता- मैं चाहूं या ना चाहूं

कविता -- मैं चाहूं या ना चाहूं   ब्लॉग   गृह-स्वामिनी पर एक और  कविता .... मैं चाहूं या ना चाहूं तुम रहोगे सदा मेरे मन में मेरे साथ मैं चाहूं या ना चाहूं

कविता- तज विसंगतियां जीवन की सब

कविता-- तज विसंगतियां जीवन की सब

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

बाल फुलवारी- परबाबाजी

   परबाबाजी   गृह-स्वामिनी पर पढ़िये एक  और नई  बाल  कविता बालकों के लिए जिसमें एक बच्चा अपने पर बाबा की पुण्यतिथि पर सपनों में आकर मिलने के लिए कह रहा है....

काव्य- आकृतियां

काव्य  के अन्तर्गत एक कविता गृह-स्वामिनी   पर....  आकृतियां

काव्य- दौराहा

दौराहा ब्लाग पत्रिका गृह-स्वामिनी पर काव्य  के अन्तर्गत आज के मानव की मनोस्थिति को व्यक्त करती एक और कविता .... हर किसी के मन में ना जाने कितने ही दौराहे होते हैं जहाँ वह  द्वंद में पड़ जाता है कि कौन सा रास्ता सही है और कौन सा रास्ता गलत. मन के अन्तर्द्वन्द को दर्शाती एक कविता .....

काव्य- दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है

 ' काव्य' के अन्तर्गत एक गीत आपके लिए......  दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  ऊपर से जो दिखता हूं मैं  दुनिया की मेहरबानी है  मेरे भीतर झांक के देखो  अलग ही एक कहानी है  दिल के अंदर मंदिर है  दिया बाल कर रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने  गिरह बांध कर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  चल-चल के थक जाता हूं  मन की देहरी लँघ लेता हूं  यादों में तुझ संग रो, हंस  कुछ पल मैं भी जी लेता हूँ  दिखता हूं कंगाल, दिल में  अनमोल खजाना रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने  गिरह बांध कर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  मुझको और चाहिए भी क्या  जग कहे उसे जो कहना तब भी तुझे देख के जीता  अब भी बस तेरा सपना  मूंद लिए हैं नैन अपने पलकों में संभाल रखा है दिल में तेरे प्यार को मैंने  गिरह बांध कर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है गीतों की पालकी

काव्य- क्षितिज के पार

काव्य- क्षितिज के पार    गृह-स्वामिनी एक सोच   पर काव्य के अन्तर्गत  एक गहरी अनुभूतिपूरक कविता (deep poetry)  ' क्षितिज के पार'-

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पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी...

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों के लिए अब Valentine day  और marriage day (mar

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. कहा हमने बोरिंग नहीं, कविता हंसने वाली है बोले तपाक से अच्छ

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये  प्रेम-रोगी  सांसो में जो बस जाए  क्या मन वो भुला पाया 

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

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क्या आपको भी अपना जीवन कठिन लगता है? कैसे बनाये अपने जीवन को आसान

आपको अगर अपने जीवन में परिस्थितियों के कारण अथवा किसी अन्य कारण से कठिनाई महसूस होती है तो शायद हमारा यह लेख आपके किसी काम आए जिसमें बताया गया है कि आप कैसे अपनी सोच बदल कर कठिन परिस्थितियों को भी अपने वश में कर अपने कठिन प्रतीत होने वाले जीवन को आसान व आनंदपूर्ण बना सकते हैं.   क्या वास्तव में जीवन जीना इतना कठिन है? क्या आपको भी अपना जीवन इतना कठिन लगता है

कोई जहर खाले तो क्या और कैसे करें उपचार

जहर का नाम सुनते ही हर कोई घबरा जाता है. मगर यदि कभी ऐसी परिस्थिति आ जाये कि कोई जहर खाले तो घबराने से तो काम नहीं चलेगा. डाक्टर के पास ले जाने में भी थोड़ा समय तो अवश्य लगेगा. ऐसे में तब तक स्वयं को संयत रखते हुए मरीज का उपचार करना अति आवश्यक है.  तो यहां यही बताने की कोशिश की गयी है कि डाक्टर तक पहुँचने से पहले जहर खाये मरीज का  किस प्रकार अर्थात क्या और कैसे मरीज का उपचार करें. यदि किसी को जहर दिया गया हो या उसने स्वयं खाया हो तो क्या और कैसे करें उपचार... जितना शीघ्र हो सके जहर खाये व्यक्ति को जहर खाने के १० मिनिट के भीतर ही भीतर डॉक्टर के पास ले जायें और यदि इतना शीघ्र डॉक्टर के पास ले जाना संभव ना  सके तो ये उपचार शीघ्र से शीघ्र करें. जहर मृत्यु का दूसरा नाम है. अक्सर घरों में किसी न किसी काम के लिए किसी भी रूप में हलका या तीव्र जहर मौजूद रहता ही है चाहे वह चूहों आदि या कीट पतंगों को मारने के लिए हो या किसी दवाई के रूप में हो या घर की सफाई के लिए किये जाने वाले डिटर्जेंट पदार्थों जैसे फिनाइल आदि के रूप में.