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बाल कविता 'माँ की बस यही परिभाषा'

मां बच्चों के लिए सब कुछ होती है. मां की गोद में आकर बच्चों को सब कुछ मिल जाता है हम लेकर आए हैं आपके लिए मां पर एक बाल कविता--

माँ ही जमीं है माँ ही आसमाँ
बच्चों के लिए माँ सारा जहाँ

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माँ की बस यही परिभाषा
प्यार, सुकून, खुशी और आशा

कब मुझको भूख लगेगी
और कब मैं होऊँगा प्यासा
मेरी हर एक जरुरत का
रहता माँ के पास खाता
दर्द मुझे होता है जब
दर्द उसे होता मुझसे ज्यादा
मां की बस यही परिभाषा

खेल के जब घर आता हूं
गोदी में सिर रख सो जाता हूं
सुखद स्वप्न सा माँ का स्पर्श
जन्नत में खुद को पाता हूं
खिल उठता हूं ताजे फूल सा
दूर भागती हर निराशा
मां की बस यही परिभाषा
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टिप्पणियाँ

Akanksha Varshney ने कहा…
Very true...and you have framed it in poem very nicely..well done..

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