तज विसंगतियां जीवन की सब
एक किनारे रख आया हूं
हृदय में अंकित स्मृतियां सब
द्वार तेरे रख आया हूं
सोचा है, अब और नहीं मनमानी
दुनिया की रीत निभाऊँगा
जीवन को अपने हाथों में लूंगा
नहीं हृदय के हाथों छला जाऊंगा
प्रेम की सब वो रस्में
फर्ज के हाथों पकड़ा आया हूं
सच है संकल्पों से ही
यह जीवन चलता है
दृढ़ता से चलता है मानव
तब ही तो आगे बढ़ता है
मैं भी तज कमजोरियां अपनी
अब आगे बढ़ आया हूं
बहुत बार हार कर अब
अपनी जीत पर मैं मुस्काया हूं
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हृदय में अंकित स्मृतियां सब
द्वार तेरे रख आया हूं
सोचा है, अब और नहीं मनमानी
दुनिया की रीत निभाऊँगा
जीवन को अपने हाथों में लूंगा
नहीं हृदय के हाथों छला जाऊंगा
प्रेम की सब वो रस्में
फर्ज के हाथों पकड़ा आया हूं
सच है संकल्पों से ही
यह जीवन चलता है
दृढ़ता से चलता है मानव
तब ही तो आगे बढ़ता है
मैं भी तज कमजोरियां अपनी
अब आगे बढ़ आया हूं
बहुत बार हार कर अब
अपनी जीत पर मैं मुस्काया हूं
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