कौन गृहणी नहीं चाहती कि समाज में उसे व उसके घर-परिवार को आदर मिले. मगर यह इस बात पर निर्भर करता है कि समाज में आपके परिवार की छवि कैसी है.
आप ने दूरदर्शन पर Asian paint का वह लोकप्रिय विज्ञापन तो अवश्य ही देखा होगा जिसकी मुख्य लाइन है-
'हर घर कुछ कहता है'
इस विज्ञापन का सीधा-सीधा अर्थ है घर के दीवारों पर किया गया एशियन पेंट जैसीे उच्च कोटि का पेन्ट उस घर में रहने वाले सदस्यों की सुरुचि का परिचय देता है.
यह तो चलो एक विज्ञापन है जिसका उदाहरण हमने यहां प्रतीकात्मक रूप में दिया है पर वास्तव में यह सच है कि हर घर कुछ कहता है.
क्या कभी आपने विचार किया है कि आपका घर क्या कहता है? क्या परिचय देता है आपका व आपके परिवार का? कैसी है आपके परिवार की छवि आप के समाज में, आस-पडोस में, घर में आने वाले आतिथियों, आगन्तुकों के बीच.
वैसे तो हमें पता है कि आज की नारी सुशक्षित तथा सुसंस्कृत है तथा गृहणी बनने के पश्चात अपने घर परिवार का पूरा ध्यान रखती है और अच्छी तरह से घर का प्रबंधन करती है किंतु फिर भी कुछ बातों की तरफ ध्यान दिलाने में कोई हर्ज नहीं है.
किसी भी मकान को घर गृहणी ही बनाती है. आपने सुना भी होगा - 'बिन घरनी घर भूत का डेरा'.
सामान्यत: यह घर की गृहणी पर ही निर्भर करता है कि घर के बाहर से कोई भी आगन्तुक या अतिथि घर में आये तो घर परिवार के प्रति अपने जेहन में अच्छा इंप्रेशन लेकर जाए और बाहर जब भी अन्य लोगों से हमारे घर-परिवार की चर्चा करे तो प्रशंसात्मक शब्दों में ही करें.
इसके अलावा घर से बाहर भी हमारे परिवार के सदस्यों चाहे वो वयस्क हो, बच्चे हों या बुजुर्ग सभी के मुख पर आत्म विश्वास, संतुष्टि तथा परिवारिक समस्याओं से मुक्ति का भाव हो तथा व्यवहार में संभ्यता व संतुलन झलकता दिखाई देता है तो इस सब के पीछे ये सब बनाये रखने में घर की महिलाओं का भी बहुत बड़ा योगदान परिलक्षित होता है.
केवल पुरुषो का ही यह कर्त्तव्य नहीं है कि वे घर की महिलाओं की सभी आवश्यकतों की पूर्ति का ध्यान रखें वरन् गृहिणियों का भी कर्त्तव्य है कि पुरुष जब बाहर जायें तो घर की सब समस्याओं से ऩिश्चिन्त हो कर जायें ताकि घर से बाहर अपना काम एकाग्रता पूर्वक कर सकें व हर कदम पर सफलता उनके कदम चूमें.
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घर में आने वालों पर भी तथा घर से बाहर भी ऐसे परिवार के सदस्य सभी मिलने वालों पर और समाज में भी अपनी व अपने परिवार की एक अलग ही छाप छोडते हैं.
मगर यह तभी सम्भव है जब गृहणी या घर की महिलाएं कुछ आवश्यक बातों पर ध्यान दे.
7 टिप्स जो समाज में आपके परिवार की बेहतरीन छवि बनाने में सहायक--
1. घर में आने वाले हर आगन्तुक को पानी के लिए अवश्य पूछें..
आपके घर कोई भी आये उससे अपनेपन से पेश आयें. काम करने वाली बाई हो या कभी कारपेन्टर काम करने आये या कोई इलेक्ट्रिशियन सभी को पानी के लिए तो कम से कम अवश्य ही पूछे. घर में चाय पानी चल रहा हो तो उन्हें भी पिलायें.
ये सब घर-घर जा कर काम करते हैं. एक घर की चर्चा दूसरे घर में कर सकते हैं. यदि आपका व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं होगा तो आपके परिवार के प्रति लोगों में गलत धारणा बन सकती है.
इसका मतलब यह नहीं कि आप केवल दिखावे के लिए ऐसा व्यवहार करें. नहीं, बल्कि हर किसी से मन से सभ्यता व इन्सानियत तथा अपनेपन से परिपूर्ण व्यवहार करें. हर व्यक्ति अपनापन चाहता है बस. ऐसा सुन्दर स्वभाव रखने से आपको भी आत्मिक तृप्ति का अनुभव होगा और आप की प्रशंसा भी होगी.
बच्चों को भी ऐसे ही संस्कार दें कि वह घर में काम करने वाले सर्वेंट, बाई, मेड अथवा का घर में आने वाले कारपेंटर अथवा इलेक्ट्रिशियन आदि सभी को भैया और दीदी कह कर संबोधित करें ना कि उनका नाम लेकर.
2. आपके घर की साजसज्जा शान्ति प्रदान करने वाली हो..
घर में सामान इस प्रकार सुव्यवस्थित हो कि सामान की भरमार या सामान की दुकान ना लगे वरन् सामान चाहे कीमती ना हो पर सलीके से लगा हो और आपकी गृहसज्जा में आपकी सुरुचि अवश्य झलके, अमीरी झलके या ना झलके.
सामान के बीच खाली जगह अवश्य हो. घर साफ तो अवश्य होना ही चाहिए.
ऐसे घर में आ कर, बैठ कर हर किसी को सुकून प्राप्त होता है.
आपके घर के संस्कार अच्छे हैं तो आपके घर की वाइब्रेशन्स भी अच्छी होगी जिससे अतिथि भी सकारात्मक व सुखद महसूस करेंगे. इससे सब पर आपके घर का अच्छा प्रभाव पड़ेगा.
3. घर में आने वाले आतिथियों का उचित सत्कार करें.. .
यह अपने घर का संस्कार बना लें कि आप के घर में अतिथियों को सदा प्रेमपूर्ण उचित सत्कार मिले. अतिथि कभी स्वयं को उपेक्षित महसूस ना करें. यह भी नहीं कि हर ऐरे-गैरे को घर आने के लिए आमंत्रित कर दें. मगर घर पर जो भी आये उसका सत्कार व सम्मान करें.
आप ऐसा करेंगी तो आपको देखकर बच्चों में भी यही संस्कार पड़ जाएंगे और फिर आपके बच्चों को देखकर हर किसी को यह महसूस होगा कि हां यह एक सुसंस्कृत घर के बच्चे हैं.
4. स्वयं भी तथा बच्चों को भी दिखावटी व बनावटी नहीं वरन् ईमानदारी से व्यवहार करना सिखायें...
किसी के भी प्रति आप का व्यवहार बनावटी अर्थात ऊपर से ओढ़ा हुआ ना हो बल्कि वास्तविक और आत्मिक हो वरना समाज में आप अपनी विश्वसनीयता खो देंगे.
आत्म- मुग्धता को चलो ठीक है पर आपके व्यवहार में घमंड व आपकी बातों में फेंकूपन नहीं होना चाहिए. यही बच्चों को भी सिखायें.
5. बाहरी लोगों के समक्ष कभी अपने घर के सदस्यों के बीच के मनमुटाव की बातें नहीं करनी चाहिए..
यूं तो कभी घर में मनमुटाव होना ही नहीं चाहिए किंतु जहां चार बर्तन होते हैं वहां कभी-कभी खटकते भी है. तो कभी भी किसी बाहरी व्यक्ति के समक्ष अपने घर के मनमुटाव की बात ना करें. इससे बाहर के लोग फायदा उठाते हैं. घर के सदस्यों के बीच की एकता ही घर की ताकत होती है तथा बाहरी परिस्थितियों का सामना करने के लिए हमें एकजुट समर्थ बनाती है. इसलिए कभी भी अगर कोई मनमुटाव है भी घर के सदस्यों के बीच में तो कभी भी उसे बाहर वालों के सामने व्यक्त ना करें. यह सावधानी आपके घर-परिवार की छवि को समाज में कभी धूमिल नहीं पड़ने देगा और आपके परिवार की ताकत मजबूत बनी रहेगी.
6. बच्चों को व्यवहार कुशल भी बनाएं ना कि केवल फैशन परस्त..
आजकल के बच्चे फैशन परस्ती की तरफ ज्यादा ध्यान देते हैं किंतु उन्हें समाज में कुशलता पूर्वक व्यवहार करना भी आना चाहिए। फैशन करना कोई बुरी बात नहीं है.
सुरुचिपूर्ण परिधान सब को अपनी और आकर्षित करता है और प्रशंसा का पात्र भी बनाता है. किन्तु बॉलीवुड के कलाकारों की नकल में जो यह नग्नता का फैशन चल पड़ा है उससे अपने घर की बहु-बेटियों को थोड़ा बचा कर ही रखें. भले ही लोगो को अब ऐसी नग्नता भरी पोशाकों में आधुनिक लड़कियों को देखने की आदत हो गयी है पर हमारी संस्कृति में ऐसी पोशाकों से परिवार की अच्छी image नहीं बनती।
7. घर के पुरुषों के मुख पर संतुष्टि व आत्मविश्वास बनाये रखें-
कहते है ना की हर सफल पुरुष के पीछे किसी ना किसी महिला का हाथ होता है. यह घर की महिलाओ का ही योगदान होता है कि पुरुष घर से निश्चिन्त हो, आत्मविश्वास युक्त हो अपने काम पर निकलते है.
हर गृहणी का कर्त्तव्य है की घर में सौहार्द और प्रसन्नता का वातावरण बनाये रखे. हालांकि 'अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता' किन्तु अपनी तरफ से हर गृहणी यह प्रयास तो कर सकती है। प्रयास करें कि औरतों की घरेलू समस्याओं को स्वयं ही निबटाने का प्रयास करें। पुरुषों को इन झमेलों से दूर रखने की कोशिश करें जहाँ तक हो सके. क्योंकि इन समस्यों में पड़ने से पुरुषों का व्यावसाय या जॉब और कैरियर सबंधी काम प्रभावित हो सकते हैं. पुरुषो की सफलता और उनका आत्म विश्वास आपकी मेहनत, समझदारी और त्याग का भी परिचायक होता है और परिवार की छवि को भी समाज में सुन्दर बनता है औरों को भी प्रेरणा प्रदान करता है.
निष्कर्ष--
तो यह थे कुछ टिप्स जो आपकी पारिवारिक छवि को समाज में बेहतर बनाकर आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में बढ़ोतरी कर सकते है.
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हर कोई ऐसे परिवार से मेलजोल बढ़ाना चाहता है, विवाह आदि के लिए भी ऐसे ही परिवार से लोग रिश्ता जोड़ना चाहते है जिस परिवार की सामाजिक छवि अच्छी हो.
अंत में हम आप से यही कहना चाहेंगे की उपरोक्त टिप्स को आप अवश्य ध्यानपूर्वक पढ़े और कमेंट में बताये की हमने कुछ गलत तो नहीं कहा. हम जानते है कि आज की कोई भी सुशिक्षित गृहणी इन बातों से अनभिज्ञ है और ये बातें अपने घर परिवार में अमल में भी लाती हैं मगर समय समय पर अच्छी बातो पर ध्यान केंद्रित करने और प्रेरित करने और कराने के लिए चर्चा करने में कोई हर्ज़ नहीं।
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