सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लघु कथा- सूखे गुलाब

अधूरे प्रेम को प्रदर्शित करती एक प्रेम कहानी.....लघु कथा 

सूखे गुलाब 

डायरी में बंद सूखे हुए गुलाब जिंदगी की हकीकत तो नहीं हो सकते किंतु  गुलाब की  उन सूखी पंखुड़ियों को देख हृदय सब कुछ भूल अतीत की मधुर स्मृतियों की खुशबु में कुछ पल के लिए खो जाए इतनी क्षमता तो रखते ही है.

चाय का कप और जिन्दगी- कविता की वीडियो देखें
Ek-laghukatha-sookhe-gulab
आज सुबह अचानक ही कोई फाइल ढूंढ़ते हुए एक पुरानी डायरी में रखी गुलाब की कुछ सूखी पंखुड़ियां जमीन पर झर पड़ी. तभी से डा.राज का मन रह-रह कर अतीत के पन्ने पलटने लगता, अनायास ही. 


खैर सब और से ध्यान हटाकर डॉक्टर राज ने कंपाउंडर से कहा कि एक-एक कर मरीजों को अंदर भेजें.

मरीज देखते देखते ना जाने कब 2:00 बज गए. खाना खाने के लिए डॉक्टर राज उठने ही वाले थे कि दरवाजे का पर्दा हटा एक युवती बड़ी हड़बड़ाहट में अपने लगभग 4 साल के सुबकते हुए बच्चे को गोद में लिए अन्दर दाखिल हुई.

डॉक्टर राज ने सिर उठाकर देखा और दोनों एक दूसरे को देख हक्का-बक्का रह गए. युवती अपने बच्चे की परेशानी भूल कुछ पल के लिए सकपका सी गई और डॉक्टर राज भी हतप्रभ सी स्थिति में उसे देखते के देखते रह गए. उनके जेहन में बस यही बात आ रही थी कि क्या इसीलिए आज उनका मन बार-बार सूखे गुलाबों की खुशबू में भीग़ रहा था.

खैर!  दोनों शीघ्र ही सँभल कर सामान्य हो गये और महिला ने बच्चे की परेशानी बताई. वह इस शहर में अपनी ननिहाल में किसी रिश्तेदार की शादी में आई हुई थी. अचानक बच्चे के पेट में दर्द उठा तो वह किसी से पूछ कर यहां  क्लीनिक में जो कि शादी के घर से अधिक दूर नहीं था बच्चे को दिखाने आ गई.

डॉक्टर राज ने बच्चे को देखा और कंपाउंडर से बच्चे को एक खुराक अभी खिलाने को कहा और बाकी दवाई घर के लिए बाँधने को कह दिया.

युवतीे बच्चे को कन्धे से लगाये चुपचाप बैठी हुई थी. शायद अतीत के बारे में ही सोच रही थी. कम्पाउन्डर के एक खुराक खिलाने पर बच्चे को काफी आराम आ गया था. कम्पाउन्डर दवाई बाँध कर वहीं ले आया.

युवती ने फीस देने के लिए पर्स से रुपए निकालकर डॉक्टर की तरफ बढ़ाए किंतु डॉक्टर राज ने टेबल की दराज  खोलकर उसमें रखी डायरी में से सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को उठा एक लिफाफे में रखा और साथ ही उन रुपयों को भी उस लिफाफे में रखकर युवती के हाथ में दे दिया. युवती कुछ कह ना सकी और दो बूंद आंसुओं की उसकी आंखों से निकल उसके हाथ में लिफाफा देते हुए डॉक्टर के हाथों को भिगो गयी. युवती मुड़ी और बच्चे के साथ कमरे से बाहर निकल गई.

ना जाने क्यों डा. राज को लग रहा था कि आज उनका अतीत आंसुओं की उन बूँदों से धुल कर साफ़ हो गया है और वह एक अनजाने से घेरे से बाहर निकल आए हैं.
-------------------------------------------
श्रेष्ठ लघु कथाएं पढ़ें

टिप्पणियाँ

Rederschoice1 ने कहा…
सच मे आपने एक दिल छु लेने वाली कहानी लिखी है. कहानी के अंत मे मन भर आया.
Rederschoice1 ने कहा…
दिल छु लेने वाली कहानी.

लेबल

ज़्यादा दिखाएं

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों...

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये ...

नारी के प्रति बलात्कार व अत्याचार पर आक्रोश व्यक्त करती एक कविता-'औरत'

नारी स्वभावत: ममतामयी व सहनशील होती है किंतु उसके इस स्वभाव को उसकी कमजोरी मान लिया जाता है और उस पर अनेक प्रकार के अत्याचार किए जाते हैं. किन्तु औरत कमजोर नहीं है़. जब वह  आक्रोश में आ जाए तो वह चंडी का रूप धारण कर समस्त दुष्टों का नाश भी कर सकती है. नारी के आक्रोश को व्यक्त करती है यह कविता पढ़ें जिस का शीर्षक है ' औरत"

जल संरक्षण| क्या आप भी घर में बेबाकी से पानी बहाती है

बड़ी विडम्बना है कि हमारे देश में अस्सी प्रतिशत लोग जल संरक्षण या पानी बचाने के बारे में बिल्कुल भी जागरूक नहीं है. वो अनावश्यक रूप से खूब दिल खोलकर पानी बहाते हैं.  अधिकांश लोग जानते ही नहीं कि जल संरक्षण नाम की भी कोई चीज होती है. जल संरक्षण क्या है-- जल संरक्षण का अर्थ है  जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अवशिष्ट जल का पुनःचक्रण (रिसाइक्लिंग) करना । जल का बु्द्धिमत्ता पूर्वक उपयोग करना कि पानी व्यर्थ ना बहे व उसको सुरक्षित रखना ही जल संरक्षण कहलाता है.

काव्य- दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है

 ' काव्य' के अन्तर्गत एक गीत आपके लिए......  दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने गिरह बांधकर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  ऊपर से जो दिखता हूं मैं  दुनिया की मेहरबानी है  मेरे भीतर झांक के देखो  अलग ही एक कहानी है  दिल के अंदर मंदिर है  दिया बाल कर रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने  गिरह बांध कर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  चल-चल के थक जाता हूं  मन की देहरी लँघ लेता हूं  यादों में तुझ संग रो, हंस  कुछ पल मैं भी जी लेता हूँ  दिखता हूं कंगाल, दिल में  अनमोल खजाना रखा है  दिल में तेरे प्यार को मैंने  गिरह बांध कर रखा है  मत देखो कि जीवन किस  सांचे में ढाल कर रखा है  मुझको और चाहिए भी क्या  जग कहे उसे जो कहना तब भी तुझे देख के जीता  अब भी बस तेरा सपना  मूंद लिए हैं नैन अपने पलकों में स...