सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

लेख-- क्या आप भी जिम जाती हैं

जिम जाना आपके लिए फिजूलखर्ची तो नहीं?
क्यों ना जिम के फायदे घर पर रह कर ही उठायें. कैसे? यह इस लेख में बताया गया है..

क्या आप भी जिम जाती हैं

Unsplash.com से साभार
आज कल जिम जाना फिटनेस के साथ-साथ फैशन सिंबल भी बन गया है. यह एक महंगा शौक है.

अपने पेशे के हिसाब से जिम जाना तो सही है मगर आम मध्यमवर्गीय महिलाओं के लिए यहां कुछ टिप्स है जो घर पर ही आजमा कर वे जिम के खर्च को बचा सकती हैं. इन टिप्स को आजमाने से उन्हें जिम जाने की कोई जरूरत महसूस नहीं होगी....

1. सुबह पैदल डेढ - दो किलोमीटर अवश्य ही घूमने जायें. दिनभर शरीर व मन-मस्तिष्क तरोताजा रहेंगे.

 2. घर पर रसोई की व्यवस्था ऐसी बनाएं कि रसोईघर में काम आने वाला कुछ सामान खाना बनाने वाले स्लैप के ऊपर हो और कुछ सामान खाना बनाने वाले स्लैैप के नीचे जैसे- दाल आटा, बर्तन आदि.

https://grah-swamini.blogspot.com

कहने का तात्पर्य है कि अपने हिसाब से ऐसी व्यवस्था करें जिससे आप को ऊपर से भी सामान उठाना पड़े और नीचे से भी इससे आपकी इससे आपको बार-बार झुकना पड़ेगा तो कभी हाथ ऊपर हाथ ऊपर करके सामान को उचक कर भी उठाना पड़ेगा. इस तरह आप के हर अंग की एक्सरसाइज हो जाएगी.

https://grah-swamini.blogspot.com

इस तरह के देसी झाड़ू पोछा का प्रयोग करें

3. जहां तक हो घर का काम जैसे सफाई झाड़ू-पौंछा नौकरानी लगाने के बजाय स्वयं ही करें. झाड़ू व पौंछा भी खड़े होकर लगाने वाला न हो वरन बैठकर लगाने वाला हो. ऊपर चित्र में दिखाये गये देसी झाड़ू पोछा का प्रयोग करें.
पलंग सोफा बेड के नीचे से झुककर मुड़ कर जब आप सफाई करेंगी व पौंछा लगाएंगी तो आपके शरीर का हर अंग हरकत में होगा. इस तरीके से आपके शरीर के जोड़ खुलेंगे और दर्द आदि परेशानियों से भी आप बची रहेंगी. इस तरह स्वस्थ भी रहेंगी और खर्च भी बचेगा और काम करने की आदत भी बरकरार रहेगी.

अपने घर का काम करने में कोई शर्म की बात नहीं होती. किसी के कहने की पर
वाह या व्यर्थ के अमीरी के दिखावे के चक्कर में अपने शरीर को जाम ना होने दें वरन शरीर के हर हिस्से को हरकत में तथा स्वस्थ रखने के लिए घर के काम स्वयं ही करने का प्रयत्न करें.


unsplash.com से साभार

4. इसके अलावा आज यह कौन नहीं जानता है कि योगा करना तो सर्वोत्तम है ही फिट रहने के लिए. इसे नियमित रूप से जीवन में अवश्य अपनायें. योगा सीखने के आज अनेक साधन उपलब्ध है. जगह-जगह योगा सिखाने की classes  लगती है और इसे दूरदर्शन पर भी टेलीविजन पर भी अपने चैनलों पर देख कर सीखा जा सकता है.

तो आप आजमा रहे हैं ना ऊपर बताये गये उपाय स्वस्थ रहने के लिए?

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

अपनी प्रतिक्रियाएं अवश्य दीजिए.....

लेबल

ज़्यादा दिखाएं

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी... हास्य बन्नी गीत पढ़ें तो प्रस्तुत है यह  भा वपूर्ण, दिल को छू लेने वाली कविता 'साथी मेरे' धूप को छांव को, बरखा बहार को प्रिये तेरे साथ से पहचानता हूं साथी मेरे, इस जिंदगी को अब मैं बस तेरे नाम, से ही तो जानता हूं कितने सावन हमने पीछे छोड़े सुख-दुख के पलों से नाते जोड़े जुटी खुशियां और आशाएं भी टूटी करें मगर क्यों गम जो दुनिया रूठी मीत मेरे मैं तो, तेर...

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...

'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife (पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में)..  कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए  पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को.  हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों...

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये ...

कविता- मैं चाहूं या ना चाहूं

कविता -- मैं चाहूं या ना चाहूं   ब्लॉग   गृह-स्वामिनी पर एक और  कविता .... मैं चाहूं या ना चाहूं तुम रहोगे सदा मेरे मन में मेरे साथ मैं चाहूं या ना चाहूं

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था

पाककला के कुछ उपयोगी टिप्स

कौन गृहिणी  कुकिंग के उपयोगी टिप्स का प्रयोग नहीं करना चाहेगी जिससे कि उसके रसोई घर में बने भोजन से पूरा परिवार  तृप्ति का अनुभव करे तथा घर  का हर सदस्य और घर में आने वाले मेहमान उस की  पाककला   की प्रशंसा करते रहे. इसके लिए महिलाएं अक्सर अपने  रसोईघर  में  पाककला  के नए-नए   व्यंजन  बनाती रहती है और नए नए  टिप्स  आजमाती रहती हैं. किंतु आजकल की कामकाजी महिलाओं को इतना समय नहीं मिल पाता कि वे रोज नए नए व्यंजन बनाए।उन्हें घर-बाहर, ऑफिस व बच्चों की पढ़ाई आदि के अन्य कार्य करने होते हैं जिससे वह चाह कर भी कुछ नया नहीं पका पाती, बस जैसे-तैसे रोजमर्रा में बनने वाला सामान्य भोजन ही बना पाती हैं किंतु उस रोजमर्रा के भोजन में भी अगर कुछ नए प्रयोग किए जाएं तो जिनमें अतिरिक्त समय भी ना लगे और रंग भी चोखा आए तो फिर बात ही क्या? भोजन बनाने के कुछ उपयोगी टिप्स-- तो फिर क्यों ना आजमायें हम महिलाएं पाककला    के लिए ये कारगर  टिप्स ---