सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

किस तरह से करें बेडशीट का सही उपयोग| कुशल गृहणी बनने के टिप्स



Best Sellers in Clothing & Accessories

हम जानते हैं कि आप एक कुशल गृहणी है किंतु फिर भी कभी-कभी कई घरों में कुछ ऐसी चूक कह लो या बेध्यानी कह लो, देखने को मिलती है जिस पर घरों में ध्यान नहीं दिया जाता किंतु देखने वाले को अच्छा नहीं लगता जैसे बेड या दिवान पर बिछी बेडशीट के उपयोग के सम्बन्ध में. इस कमी के कारण घर की गृहणी के प्रबन्धन में कुछ कमी सी प्रतीक होती है. तो हम बता रहे हैं इस पोस्ट में बेडशीट के कुशलतापूर्ण उपयोग के टिप्स... 

मेक द मोस्ट(Make the most) कुशल गृह प्रबंधन की आधारशिला है थोड़े से में भी बहुत सा लाभ ले लेना तथा किसी भी चीज को व्यर्थ ना जाने देना और अगर कुछ व्यर्थ हो भी तो उसको भी रचनात्मक तरीके से उपयोगी बना लेना, यह बचत करने की कला तो कुशल गृहणी में अवश्य होनी ही चाहिए. गृहणी के अंदर ऐसी  creativity हो तो घर की सुंदरता में जान पड़ जाती है व इस बात का परिचय मिलता है कि गृहणी बहुत प्यार व ध्यान से घर की संभाल करती है.


बेडशीट का उपयोग भी इस तरह करें कि वह आपके कुशल गृहणी होने का परिचय दें--
तो चलिए आते हैं मुख्य मुद्दे पर कि हम बेडशीट किस तरह बिछाए और उसका किस तरीके से अतिरिक्त उपयोग कर सकते हैं कि वह देखने में सुंदर लगे और इधर उधर बेतरतीबी से लटकी हुई और भद्दी प्रतीत ना हो.

यूं तो हम जब भी बाजार से खुद खरीद कर अपने बेड के लिए बेडशीट लाते हैं तो वह अपने बेड के हिसाब से ही लाते हैं किंतु कभी-कभी हमारे पास गिफ्ट की हुई या पहले से रखी बेडशीट्स भी होती है तो हम खरीदने की बजाय उन का प्रयोग कर लेते हैं किंतु जब चादर खोलते हैं तो हमें लगता है कि यह बेडशीट तो हमारी पलंग के हिसाब से काफी बड़ी है या कुछ छोटी है.


ऐसे में उसे बेकार समझ यूं ही दबा कर पुन: बक्सेे में ना रख दें अथवा बड़ी बेेडशीट है तो यूं ही इधर उधर बेतरतीबी से लटकी हुई ही प्रयोग कतई ना करें. सच मानिए बहुत भद्दी लगेगी और आपको कोई भी एक कुशल गृहणी कहने में संकोच करेगा. आप कभी ऐसा नहीं चाहेंगी.

 तो चलिए यहां हम बता रहें हैं कि क्या उपाय करें कि उस चादर की सही नाप अर्थात आपके बेड के नाप के अनुसार हो जाए. 

1. जब आप की चादर या बेडशीट आपके बेड पर काफी बड़ी आती हो--

bedsheet-ka-naap-bed-ke-anusar-ho
बेडशीट की नाप बेड के अनुसार ही हो, इधर उधर ज्यादा लटकी ना हो

आप ऊपर देख रहे हैं यह चादर इस बेड पर कितनी फिट बैठ रही है और बिछी हुई सुंदर भी लग रही है क्योंकि इसकी नाप अर्थात लम्बाई चौडाई बेड के अनुसार है. 

इसे हम गद्दों के नीचे दबा कर भी बिछा सकते हैं और इधर उधर थोड़ा लटका कर भी. किंतु यह चादर ऐसी नहीं थी यह चादर मुझे गिफ्ट में मिली थी किंतु जब मैंने इसे खोल कर देखा तो यह मेरे बेड के अनुसार काफी बड़ी थी. बेड पर बिछाने पर इधर-उधर जमीन तक लटक रही थी.

वैसे यह सच है कि नयी बेडशीट को काटने छांटने का मन नहीं करता मगर ना तो ऐसे ही लटकी फटकी तरह से बिछाना अच्छा लगेगा और सहेज कर रखने से भी क्या फायदा. और फिर ऐसे में ही तो हर कुशल गृहणी अपनी कलाकारी दिखाने का मौका ढूंढ़ती है 😁 तो मैंने भी अपनी कलाकारी दिखा ही दी. आप भी ऐसा ही करें.

पूरी चादर को बेड पर बिछाकर इधर-उधर दबाने या लटकाने के लिए पर्याप्त कपड़े सहित नाप ले. सावधानी पूर्वक नापें कहीं चादर छोटी ना हो जाये. इधर -उधर कितनी लटकी हुई आपको जितने उचित अनुपात में लगे या गद्दों के नीचे दबाने के लिए पर्याप्त कपड़ा ही लें. बाकी कपड़ा कैंची से काट लें. जैसा कि नीचे फोटो में दिखाया गया है.

bedsheet-se-bacha-kapda
बेडशीट से बचे कपड़े से कुछ उपयोगी चीजें बनाएं

देखिए चादर की दोनों साइड से कितना चौड़ा कपड़ा निकला है. इससे हम कुछ भी उपयोगी चीज बना सकते हैं.

यह ध्यान रखें कि यदि पूरी चादर का प्रिंट एक जैसा है अर्थात रनिंग में है तो आप चादर में चौड़ाई और लंबाई में एक एक तरफ से ही कपड़ा निकाल सकती है ताकि चौड़ाई की तरफ से और लंबाई की तरफ से निकलने वाले कपड़े छोटे टुकड़ों में नहीं होगे बल्कि चौड़ाई और लंबाई की तरफ से बड़े-बड़े पीस निकलेंगे जैसे कि ऊपर दिखाई गयी रनिंग प्रिंट वाली चादर में से निकले हैं. इनसे हम pillow cover, table runner, स्टूल के लिए  cover, आदि बनाने में इस्तेमाल कर Make the most की नीति का पालन कर अपने कुशल गृहणी होने का परिचय दे सकते हैं.

यदि चादर में डिजाइन हो तो भी चादर या बेडशीट की पर्याप्त लंबाई चौड़ाई रखते हुए भी अधिक से हुई अच्छा खासा कपड़ा बचा सकते हैं जैसे कि नीचे दी गयी कढ़ाई वाली बेडशीट से कढ़ाई के बाहर बाहर से अतिरिक्त कपड़ा निकाल मैंने pillow cover बनाये हैं. pillow cover में कुछ कपड़ा कम पड़ गया तो मैंने चादर के कढ़ाई के डिजाइन व कलर से मिलते जुलते कपड़े की पट्टी लगा कर डिजाइन बना दिया. है ना make the most? हा..हा. 

बड़ी-बेडशीट-से-बचे-कपड़े-से-पिलोकवर
बड़ी चादर में से बचे कपड़े से तकिया कवर

जब चादर या बेडशीट पलंग से कुछ छोटी हो-

अभी तक हम बड़ी बेडशीट की बात कर रहे थे किंतु यहां पर हम बताते हैं कि जब पलंग पर बेडशीट सही नाप से कुछ छोटी लगे तो क्या करें?

यदि आपके पास ज्यादा से मिलता जुलता कोई कपड़ा हो तो उसे बेडशीट के दोनों तरफ इस तरह जोड़ सकती है कि वह डिजाइन की तरह लगे और अगर मिलता-जुलता कपड़ा ना हो तो आप चादर के एक ही उस तरफ कपड़ा जोड़ें जिस तरफ कि बेड दीवार से लगा होता है. अब बेडशीट इस तरह बिछाएं कि वह जुड़ा हुआ कपड़ा दीवार की तरफ लटका हुआ रहे और दिखाई ना दे. अब चादर बड़ी होकर पलंग के नाप की हो जाएगी और एक ही कपड़े की भी लगेगी.

तो कर रही है ना आप यहां दिए गए कुशल गृहणी बनने के टिप्स का प्रयोग कर बेडशीट का सुंदर तरीके से उपयोग?
आशा है आपको पोस्ट अवश्य पसन्द आयी होगी. अगर पसन्द आयी हो तो पोस्ट को अवश्य शेयर करें व अपनी टिप्पणी दे.

ये भी पढ़ें-

टिप्पणियाँ

लेबल

ज़्यादा दिखाएं

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

पतिपत्नी के प्रेम पर दिल को छू लेने वाली भावपूर्ण कविता 'साथी मेरे'

पतिपत्नी के प्रेम पर आपने बहुत कविताएं पढ़ी होगी। पतिपत्नी के संबंधों की गहनता पर   पति द्वारा   जीवन संगिनी अर्थात   पत्नी को सम्बोधित करती दिल को छू लेने वाली यह   भावपूर्ण कविता  ' साथी मेरे ' पढ़ें . पति-पत्नी के बीच का संबंध   बहुत गहरा , बहुत पवित्र और जन्म जन्मांतर का संबंध होता है. एक दूसरे के लिए वह संगी साथी,जीवन साथी सभी कुछ होते हैं. दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं. संग संग रहते हुए वह एक दूसरे की अनुभूतियों   में समा जाते हैं. इसी पवित्र, प्यारे और सुंदर रिश्ते को लक्षित करते हुए लिखी गई है मेरी यह मौलिक  कविता .  आशा है आपकी प्रतिक्रियाएं अवश्य मिलेगी... हास्य बन्नी गीत पढ़ें तो प्रस्तुत है यह  भा वपूर्ण, दिल को छू लेने वाली कविता 'साथी मेरे' धूप को छांव को, बरखा बहार को प्रिये तेरे साथ से पहचानता हूं साथी मेरे, इस जिंदगी को अब मैं बस तेरे नाम, से ही तो जानता हूं कितने सावन हमने पीछे छोड़े सुख-दुख के पलों से नाते जोड़े जुटी खुशियां और आशाएं भी टूटी करें मगर क्यों गम जो दुनिया रूठी मीत मेरे मैं तो, तेर...

एक अध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'

प्रस्तुत है जीवन के सत्य असत्य का विवेचन करती एक आध्यात्मिक कविता 'मन समझ ना पाया'.  वास्तव में मन को समझना ही तो आध्यात्मिकता है. यह मन भी अजब है कभी शांत बैठता ही नहीं. जिज्ञासु मन में अलग-अलग तरह के प्रश्न उठते हैं. कभी मन उदास हो जाता है कभी मन खुश हो जाता है.  कभी मन में बैराग जागने लगता है कभी  आसक्ति . मन के कुछ ऐसे ही ऊहापोह में यह कविता मेरे मन में झरी और मैंने इसे यहां 'गृह-स्वामिनी' के  पन्नों  पर उतार दिया. पढ़कर आप भी बताइए कि यही प्रश्न आपके मन में तो नहीं उठते हैं. मन समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया  कभी शांत झील सा वीतरागी यह मन  तो कभी भावनाओं का  अन्तर्मन में झोंका आया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया छोर थाम अनासक्ति का रही झाँकती आसक्ति लगा कोलाहल गया  हो गयी अब विश्रांति  जगी फिर यूं कामना  मन ऐसा उफनाया  कैसा तेरा खेल, प्रभु कोई समझ ना पाया क्या सत्य है, क्या असत्य मन समझ ना पाया कैसा जोग, कैसा जोगी  बैरागी कहलाये जो  बन  जाये ...

दाम्पत्य जीवन मे पत्नी के लिए पति के भावों को व्यक्त करती प्रेम कविता- मैं एक फूल लेकर आया था

प्रेम भी अभिव्यक्ति चाहता है. दाम्पत्य जीवन में एक दूसरे के लिए कुछ आभार व प्यार भरे शब्द वो भी प्रेम   कविता के रूप में पति-पत्नी के प्रेम को द्विगुणित कर देते हैं.  युगल   चाहे वे दम्पति हो अथवा  प्रेमी-प्रेमिका  के बीच  प्रेम  की एक नूतन अभिव्यक्ति.... पत्नी के समर्पण और प्रेम के लिए पति की और से आभार और प्रेम व्यक्त करती हुई एक भावपूर्ण  प्रेम  कविता...   मैं एक फूल लेकर आया था
जीवन को नकारात्मकता से बचाए उम्र तथा अनुभव बढ़ने के साथ हम महसूस करने लगते है कि हमारे बुजुर्ग, शास्त्र एवं महान पुरुष जो कह गए हैं वो कितना सही है. बचपन में बच्चे कितने निर्दोष होते हैं. युवा होने के साथ उनमे संसारिकता बदती जाती है फिर प्रोड होने तक जिम्मेदारियों के निर्वहन तथा आवश्यकताओं के संपादन में बहुत कुछ गलत कार्य भी मनुष्य से हो जाते हैं. किन्तु एक नार्मल प्रोड तथा उम्र-दराज़ इंसान जब अपनी मूलभूत जिम्मेदारियो से मुक्त हो जाता है तो उसमे उसकी शुद्ध आत्मा की झलक दिखाई पड़ने लगती है. क्योंकि वह स्वयं को मुक्त अनुभव करने लगता है और उसके चित्त पर चिंताओं के आवरण कम हो जाते हैं. मैंने देखा है कि मुक्त व्यक्ति औरों के प्रति भी सहृदय हो जाता है, स्वयं को उस सत-चित्त आनंद स्वरुप आत्मा से भी जुडा महसूस करता है, प्रसन्न रहना चाहता है और अन्य लोगो को भी प्रसन्नता देना चाहता है. यही तो जीव-आत्मा की मूल विशेषता है. और सब तो संसारिकता है. इसीलिए हम बच्चों को यह सिखाने का प्रयास करे कि अगर कोई उनके साथ ख़राब भी करता है तो यह उसकी अपनी लाचारी है. उस व्यक्ति को वह उसके मूल स्वरुप में देख...

मां की भावना व्यक्त करती हुई कविता- मैं माँ हूँ

अपने बच्चों के जीवन के प्रति एक माँ की भावना में सदा बच्चों का कल्याण ही नीहित होता है. एक माँ की ऐसी ही भावनाओं को व्यक्त करती है यह कविता 'मैं माँ हूँ'....  एक मां ही अपने बच्चों के लिए इस प्रकार से सोच सकती है कि वह अपने बच्चों को दुनिया का हर सुख देना चाहती है और उनका जीवन प्रकाशमय बनाना चाहती है.    नारी शक्ति पर यह कविता भी पढ़ें  प्रस्तुत कविता में किसी भी मां की यही भावना व्यक्त होती है कविता- मैं माँ हूँ  मैं माँ हूँ सोचती हूं हर समय आमदनी कैसे बढ़े कैसे पैसे बचें क्योंकि बिना धन के मेरी ममता का कोई मोल नहीं बिन साधन भावनाओं का कोई तोल नहीं धन के बिना कैसे दे पाऊंगी मैं अपने बच्चों को उनका भविष्य उनके सपने नहीं देखी जाती मुझसे समय से पहले उनकी समझदारी उमंगों को मुट्ठी में भींच लेने की लाचारी मैं नहीं देना चाहती उन्हें ऐसी समझदारी ऐसी दुनियादारी, ऐसे संस्कार कि मन को मार वो स्वयं को समझे समझदार मैं माँ हूँ, बस माँ उनकी मुट्ठी में देना चाहती हूँ उनका आकाश परों को उड़ान मन मानस में प्रकाश मैं रखना चाहती हूँ उन्हें अंधेरों से दूर बहुत दूर.   ...

पति पर हास्य कविता| पति पत्नि की मनोरंजक नोकझोंक

हम लेकर आये हैं अंजू अग्रवाल द्वारा रचित पति पर   हास्य कविता। पति पत्नी की नोकझोंक प र लिखी गयी यह कविता निश्चय ही आपका मनोरंजन करेगी.   एक हास्य पति पर लिखी कविता कवि सम्मेलनों में प्राण फूंक देती हैं. उस पर भी पत्नी पर लिखी गयी हास्य कविताओं का तो श्रोता कुछ अधिक ही आनंद लेते हैं.  हास्य कवि तो मंच पर पत्नियों की बैंड बजा कर वाहवाही लूट मस्त रहते है पर एक हास्य कवि की पत्नी से यह बर्दाश्त न हुआ कि हमारा मजाक उड़ा पतिदेव वाहवाही लूटें तो उसने भी पतिदेव की बैंड बजाने की सोच एक हास्य कविता लिख दे मारी।  ऐसा ही कुछ दृश्य इस कविता की विषय वस्तु हैं.      कविता का आनंद ले-.    हास्य कविता-  मैं तो बिन सुने ही हंसता हूँ सोचा हमने कि मंच, पर हम भी जमेंगे श्रोता वाह वाह तब , हम पर भी करेंगे तंज कसते पत्नियों पर, यह मंच पर नित्य  हास्य कवि पति अब, हमसे भी ना बचेंगे. कविता एक हास्य की , हमने भी लिख मारी कहा इनसे सुनो जी , बोले आयी आफत हमारी पता था हमको यह, कि नौटंकी जरूर करेंगे नहीं हिम्मत मगर इतनी, कि कविता ना सुनेंगे. क...

क्या आपको भी अपना जीवन कठिन लगता है? कैसे बनाये अपने जीवन को आसान

आपको अगर अपने जीवन में परिस्थितियों के कारण अथवा किसी अन्य कारण से कठिनाई महसूस होती है तो शायद हमारा यह लेख आपके किसी काम आए जिसमें बताया गया है कि आप कैसे अपनी सोच बदल कर कठिन परिस्थितियों को भी अपने वश में कर अपने कठिन प्रतीत होने वाले जीवन को आसान व आनंदपूर्ण बना सकते हैं.   क्या वास्तव में जीवन जीना इतना कठिन है? क्या आपको भी अपना जीवन इतना कठिन लगता है