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'मेरी तुम ज़िंदगी हो' valentine day love poem for husband from wife

A valentine day love poem(प्रेम कविता) for husband from wife

(पति के लिए पत्नी की प्रेम भावनाएं 'मेरी तुम ज़िंदगी हो' कविता के रूप में).. 

कितना प्यारा रिश्ता होता है पति पत्नी का. कभी खट्टा कभी मीठा। जितना चटपटा जायकेदार तो उतना ही मन की गहराइयों तक उतर कर अपनेपन की अलौकिक अनुभूति से सराबोर करने वाला. मगर यह रिश्ता प्यार की अनुभूति के साथ साथ प्यार की अभिव्यक्ति भी चाहता है, दिल की गहराइयों से निकले प्यार के कुछ बोल भी चाहता है. वो बोल अगर अपने जीवनसाथी के लिए पति या पत्नी द्वारा रचित, लिखित या कथित प्रेम कविता के रूप में हो तो कहना ही क्या. एक नया रंग मिल जाएगा आपके प्यार को. 


हमारे भारतीय समाज में जिम्मेदारियों और जीवन की भागदौड़ के रहते अक्सर पति-पत्नी ( husband wife) एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम को मुखर नहीं करते और जीवन का ढर्रा एकरस सा चलता रहता है. जीवन में रंग भरने के लिए प्रेम की अभियक्ति भी जरूरी है. वह I love you वाली घिसी पिटी अभिव्यक्ति नहीं बल्कि हृदय की गहराई से निकले प्रेम के सच्चे भाव. शायद ऐसे ही अवसरों के लिए अब Valentine day और marriage day (marriage anniversary) मनाने का फैशन चल निकला है. ना केवल प्रेमी प्रेमिका वरन पति पत्नी के प्रेम और रोमांस के लिए ऐसे अवसर सोने पर सुहागे का काम करते है. 

पति या पत्नी का जन्मदिन भी ऐसा ही खुशनुमा अवसर होता है जब किसी कीमती तोहफे की बजाय जीवनसाथी के हृदय की गहराइयों से निकले चंद शब्द अगर वे कविता के रूप में हो तो फिर कहना ही क्या, मन को 
ढ़ेर सारी खुशी दे कर प्यार को और भी गहरा कर देते हैं.
 
तो ऐसे ही खुशनुमा अवसरों के लिए पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका के बीच के प्रेम को और मुखरित बनाने और परवान चढ़ाने के लिये हमने रची है हिंदी कविता...   

मेरी तुम जिंदगी  हो 

Valentineday-lovepoem-for-husband
मेरी तुम ज़िन्दगी हो - वेलेन्टाइन डे प्रेम कविता


मुझे प्यार  जिंदगी से 
मेरी तुम जिंदगी हो 
संगीत हो तुम मेरा 
मेरा गीत तुम ही हो

तुम जिंदगी में आये 
रंग जिंदगी के भाये
लगे अपनी सी जमीं 
ये आसमाँ भी लुभाये
मुझे नाज़ किस्मत पे 
आग़ाज़ भी तुम ही हो

संग बहेंगे धार में
एक दूजे के प्यार में 
धूप में और छाँव में   
तीर पे, मंझधार में 
मेरी नाव भी तुम्हीं हो 
खिवैया भी तुम ही हो 

ना खोएंगे कभी हम 
राह भूलभुलैया में 
मंजिल हमारी अब 
एक दूजे की बय्याँ में 
मेरी राह भी तुम्हीं हो 
मंजिल भी तुम ही हो 

हो उदास कभी, मेरे 
कांधे पे सर रखना
मेरी आँख में हो आंसू
पलकों पे अधर रखना 
दुःख सुख हम को क्या 
मेरे मीत तुम ही हो  
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पति-पत्नी के रिश्ते पर "साथी मेरे" कविता भी पढ़े..
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