क्या आप जानते हैं कि बायोकेमिकल चिकित्सा प्रणाली और बायोकेमिकल दवाइयां क्या हैं?
घर परिवार में होम्योपैथिक दवाइयां, बायोकेमिक दवाइयां तथा आयुर्वेदिक दवाइयों की थोड़ी बहुत नॉलेज अवश्य होनी चाहिए. क्योंकि इन दवाइयों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और घरेलू मेटेरिया मेडिका के द्वारा होम्योपैथी और बायो केमिक दवाइयों का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं. हालांकि किसी भी बीमारी का इलाज डॉक्टर से ही कराना चाहिए
किंतु घर परिवार में आए दिन छोटी मोटी बीमारी लगी ही रहती है. रोजमर्रा की साधारण बीमारियों को हम इन पैथी से घर पर ही इलाज कर सकते हैं और क्योंकि यह साइड इफेक्ट नहीं देती ना ही नुकसान करती हैं. हमें फिर बार-बार डॉक्टर के पास भागना नहीं पड़ता.
यहां इस लेख में हमने बायोकेमिकल दवाइयों के बारे में प्रारम्भिक जानकारी देने का प्रयास किया है.
बायोकेमिकल चिकित्सा प्रणाली क्या है?
वैसे आपने बायोकेमिकल दवाओं के बारे में पहले भी अवश्य ही सुना होगा.
डॉक्टर सैमुअल हैनीमैन के द्वारा होम्योपैथिक सिद्धांत का प्रतिपादन करने के बाद डा. डब्लू. एच. शुस्लर ने बायोकेमिक चिकित्सा प्रणाली सन् 1863 ई. में प्रारंभ की थी.
डा. शुस्लर के अनुसार हमारे शरीर में मुख्यतः 12 तरह से लवण पाए जाते हैं जिनके संतुलित अवस्था में रहने से शरीर स्वस्थ रहता है. खास तरह के लवण की कमी से खास खास तरह के रोग के लक्षण प्रकट होते हैं. ये रोग अपेक्षित लवण के शरीर में पुनः पहुंच जाने से अपने आप ही दूर हो जाते हैं और शरीर स्वस्थ हो जाता है.
यह 12 लवण इन नामों से पहचाने जाते हैं--
1.कैलकेरिया फ्लोरिका
2. कैल्केरिया फास्फोरिका
3. कैल्केरिया सल्फ्युरिका
4. फैरम फास्फोरिका
5. कैली म्युरिएटिकम
6. कैलि फास्फोरिकम
7. कैली सल्फ्यूरिकम
8. मैग्नेशिया फासफोरिकम
9. नैट्रम म्यूरिएटिकम
10. नैट्रम फास्फोरिकम
11. नेट्रम सल्फ्यूरिकम
12. साइलिशिया
ये लवण भी दशमिक प्रणाली से निर्मित X संकेत के साथ शत्तामिक पद्धतियों से प्रस्तुत दवाओं के रूप में मिलते हैं. यही कारण है कि ये लवण आसानी से होम्यो मेडिकल स्टोर पर प्राप्त हो जाते हैं और होम्योपैथिक औषधियों के साथ पूरक के रूप में चलाये जाते हैं जिसमें सफलता भी मिलती है और कोई नकारात्मक लक्षण भी प्रकट नहीं होते.
यद्यपि होम्योपैथिक और बायोकेमिक दोनों ही एक दूसरे से भिन्न है - होम्योपैथिक चिकित्सा जहां शरीर में रोग लक्षण और औषधि लक्षण की सादृश्यता या समानता पर निर्भर है वहीं बायोकेमिक चिकित्सा लवणों के अभाव के लक्षणों की खोज पर ही निर्भर है पर दोनों चिकित्सा प्रणालियों में औषधियों के अपने-अपने सांकेतिक लक्षणों को अध्ययन कर ध्यान में रखना चिकित्सकों के लिए आवश्यक हो जाता है वह लक्षण सादृश्यता का हो या अभाव सूचक लक्षणों का समूह हो.
बायोकेमिक की विशेषताएं क्या है?
1. होम्योपैथी में हजारों औषधियां तैयार हो चुकी हैं और उनको लक्षणों के आधार पर याद करना कठिन है किंतु बायोकेमिक में केवल 12 लवणों पर ही यह चिकित्सा प्रणाली आधारित है जिनका अभाव गत लक्षण याद करना आसान है.
2. होम्योपैथिक में जहां तक हो एक साथ एक ही औषधि चलाकर औषधि के प्रभाव का इंतजार करने का सिद्धांत है वहीं बायोकेमिक में लगभग मिलते जुलते लक्षण साथ रहने पर एक साथ ही मिलाकर अनेक औषधियां सेवन करायी जा सकती है और यदि भूलवश गैरजरूरी लवण शरीर में चला भी जाता है मल-मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है, इसका शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता.
3. होम्योपैथिक चिकित्सा में रोग के लक्षण और औषधि के लक्षणों की सादृश्यता के साथ-साथ कफ, वात और पित्त पर भी पैनी दृष्टि रखना आवश्यक है वही बायोकेमिक चिकित्सा में लवणों के मात्र अभाव से उत्पन्न लक्षणों को देखकर ही चिकित्सा करना काफी है.
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